जेम्स बांड फिल्मों का दर्शक वर्ग सुदूर अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया तक पाँचों महाद्विपों में फैला हुआ है। भारत में भी इस काल्पनिक नायक के चहेतों की संख्या लाखों में है। इस पात्र को रचने वाले इयान फ्लेमिंग दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश नौसेना के लिए गुप्तचरी करते थे। युद्ध समाप्ति के बाद उन्होंने ' संडे टाइम्स ' के संवाददाता के रूप में काम करना आरम्भ किया। पत्रकारिता और जासूसी के कॉम्बिनेशन ने उनमे छुपे लेखक को जीवंत कर दिया। अपने दोनों पेशों के अनुभव के आधार पर ' जेम्स बांड ' को केंद्र में रखकर उन्होंने कहानियां लिखना शुरू किया। फ्लेमिंग के अनुभवों का कैनवास बहुत विशाल था लिहाजा उनका रचा पात्र कई व्यक्तियों का मिश्रण है। वह ताकतवर है , हंसमुख भी , महिलाओ को अपने जाल में फंसाने वाला , ठन्डे दिमाग से ह्त्या करने वाला , नई तकनीक का जानकार। आदि इत्यादि। जेम्स बांड एक ब्रिटिश जासूस है जिसकी प्रतिबद्धत्ता अपने देश और अपनी महारानी के प्रति है। इस पात्र को लिखते वक्त फ्लेमिंग को अंदाजा नहीं था कि यह एक दिन ' लार्जर देन लाइफ ' इमेज बना लेगा। सीक्रेट सर्विस की बारीक डिटेल और पत्रकारिता की गहराई के अनुभव ने जेम्स बांड के चरित्र को जासूसों का पर्याय बना दिया।
इयान फ्लेमिंग का लेखकीय सफर महज तेरह वर्षों (1953 -1966 ) का रहा है। इस अवधि में उन्होंने 14 उपन्यास और कई लघु कथाएँ लिखी। कहानियों की विषय वस्तु इतनी दिलचस्प रही कि लगभग सभी पर फिल्मे बनी। इन फिल्मों ने ' जेम्स बांड ' को कालजयी नायक बना दिया और फिल्मों की एक नयी श्रेणी - बांड मूवी।
जेम्स बांड सीरीज की अब तक चौवीस फिल्मे आ चुकी है जिनमे 6 अभिनेताओं ने इस किरदार को निभाया है। सबसे ज्यादा ( 7 बार ) जेम्स बांड बनने का मौका मिला रॉजर मुर को। मोहक , लुभावने , विनम्र और लम्बे कद के रॉजर मुर ने ' जेम्स बांड ' को एक ' लवर बॉय ' की इमेज दी वरना उनके पूर्ववर्ती बांड गंभीर छवि में कैद थे। मुर की सात फिल्मों में से एक ' octopussy का भारत से रिश्ता रहा है। इस फिल्म का बड़ा हिस्सा उदयपुर के ' लेक पैलेस ' में फिल्माया गया है। यह इकलौती 'जेम्स बांड फिल्म है जिसकी शूटिंग भारत में हुई और बड़ी संख्या में भारतीय एक्टर इस फिल्म का हिस्सा बने। मुख्य रूप से कबीर बेदी और टेनिस सितारे विजय अमृतराज के रोल दर्शकों को आज तक याद है। यूँ तो जेम्स बांड अपनी हर फिल्म में ' एश्टन मार्टिन ' कार चलाता नजर आता है परन्तु इस फिल्म के एक दृश्य में वह ऑटो में बैठा नजर आता है। रॉजर मुर इकलौते जेम्स बांड है जिन्हे सामाजिक सरोकार के लिए ' सर ' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
अपनी पुस्तक ' बांड ऑन बांड ' में एक जगह उन्होंने लिखा है '' आप संजीदगी से बूढ़े हो सकते है या फिर बेधड़क होकर - और में दोनों ही तरह से बूढ़ा रहा हूँ '' . अपनी फिल्मों में कई खतरों से निपटने वाले सर रॉजर मुर अंततः( 23 मई ) कैंसर से हार गए।