अफ़साने हकीकत में उतर रहे है . देश सोने की चिडिया था , इस बात का इल्म अब आम लोगो को होने लगा है . पद्मनाम स्वामी मंदिर के तहखाने खजाना उगल रहे है . पहली बार तिरुपति बालाजी का सोना कम लगने लगा है . फिल्म 'ममी'एक काल्पनिक कहानी थी परन्तु उसके खजाने की खोज का घटना क्रम बेहद प्रभावशाली बन पढ़ा था , खास तौर पर फिल्म के अंत में ध्वस्त होते पिरामिड और उसमे नष्ट होते खजाने के द्रश्य . ठीक इसी तरह ' निकोलस केज ' अभिनीत 'नेशनल ट्रेजर ' खजाने की खोज पर बनी शानदार फिल्म थी . वाल स्ट्रीट के कही नीचे दबा खजाना खोजना नायक के लिए एक तरह से अपने पिता के खोये सम्मान को पुनह स्थापित करने का प्रयास है . खलनायक और नायक की रस्साकसी के बीच पिता पुत्र के रिश्ते को मजबूत करती यह फिल्म जितनी बार देखो , ताज़ी लगती है . फिल्म के अंत में सारे खजाने को सरकार के संरक्षण में जाते बताया गया है . पद्मनाम मंदिर के खजाने को लेकर भी कुछ इसी तरह की खबरे आना शुरू होगई है. अगर ऐसा होता है तो यह देश हित में होगा . फिल्म उपकार में मनोज कुमार पर फिल्माया गीत ....मेरे देश की धरती सोना उगले ...चरितार्थ हो रहा है . जेसा मेने शुरुआत में कहा- कहानिया हकीकत में उतर रही है .
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दिस इस नॉट अ पोलिटिकल पोस्ट
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अच्छा लिखा है. बधाई
ReplyDeleteक्या बात कही है आपने ?
ReplyDeleteWaah ...
देखिए
आरज़ू ए सहर का पैकर हूँ
शाम ए ग़म का उदास मंज़र हूँ
मोम का सा मिज़ाज है मेरा
मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ
सही कहा आपने।
ReplyDeleteसरकार के संरक्षण में जाने पर क्या खजाने संरक्षित रह पायेंगे ?
ReplyDeletebahut sahi kaha hai rajneesh ji.
ReplyDeleteकालेधन के अधिपति क्या इस अकूत धन-संपदा को सुरक्षा दे पायेंगे?
ReplyDeleteअसंभव.... असंभव.....असंभव.
मुझे तो अब महसूस होने लगा है... भारत में तो किसी तरह का अभाव है ही नहीं...
कुछ ....हमारे आज़ाद भारत के नेताओं ने इस देश की दुर्दशा की हुई है...
और कुछ .... धर्म का राजनीति पर विश्वास ख़त्म होने से वह उसकी मदद नहीं करता.
फिल्म उपकार में मनोज कुमार पर फिल्माया गीत ....मेरे देश की धरती सोना उगले ...चरितार्थ हो रहा है .
ReplyDelete---उदाहरण गलत दिया गया है यहाँ पर सही नहीं बैठता ....अच्छे कथन व तथ्य का अनर्थक प्रयोग...
जी हाँ अब तो साक्षात दर्शन हो रहे हैं!
ReplyDeleteवाकई...मेरे देश की धरती....अभी तो एक तहखाना बाकी है खुलने को...जाने कितने ऐसे मंदिर होंगे.
ReplyDeleteसोनचिरैया ............
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर....
ReplyDeleteअब किस्से कहानियों में नहीं रहे खजाने. पुराने ज़माने में राजा महाराजाओं के समय मंदिरों में खजाने का रखना सुरक्षित माना जाता था. कालान्तर में मुस्लिम आक्रान्ताओं ने भारत पर आक्रमण कर खजाने लुटे. अब उनकी जरूरत ही कहा है. आक्रान्ता मुखौटे बदल कर समाज में घूमने लगे है . संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव अच्छा है. उससे ही बेहतर है केरल में गरीबी दूर करने ध्यान दिया जाये.
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