Tuesday, December 25, 2018

एक बार फिर बिखर गया ऑस्कर का सपना


कई दशकों तक हम फिल्मे देखने वालों को ' ऑस्कर ' से लगाव नहीं था।  हम हमारे ' फिल्म फेयर ' से खुश थे। परन्तु 2001 में ' लगान ' का ऑस्कर की विदेशी भाषा श्रेणी में चयन होना हमारी महत्वकांक्षाओ को पंख लगा गया। यद्धपि ' लगान ' पिछड़ गई परन्तु हमारे फिल्मकारों को एक सुनहरा सपना दिखा गई। न सिर्फ फिल्मकार वरन आम दर्शक भी यही चाहने लगा कि लॉस एंजेलेस के कोडक थिएटर के रेड कार्पेट पर भारतीय अभिनेताओं को चहल कदमी करता देखे। इस दिवा स्वप्न के आकार लेने की एकमात्र वजह थी भारतीय फिल्मों को वैश्विक स्वीकार्यता मिलती देखने की लालसा क्योंकि भारत आज भी हर वर्ष  दुनिया भर में बनने वाली कुल फिल्मों की संख्या की आधी फिल्मे बनाता है। अगर संख्या के आधार पर ही ऑस्कर मिलता तो हम निश्चित रूप से सबसे आगे होते , बदकिस्मती से ऐसा संभव नहीं है। 
हमारे लिए यह जानना जरुरी है कि ' ऑस्कर ' सिर्फ और सिर्फ अमेरिकी फिल्मों के लिए है। 1929 से आरम्भ हुए इस  फ़िल्मी पुरूस्कार में विदेशी भाषा की फिल्मों को शामिल करने की शुरुआत 1956 में हुई थी।  ठीक इसी के आसपास भारत में फिल्म फेयर अवार्ड्स शुरू हुए थे। 1958 में ' मदर इंडिया ' पहली भारतीय फिल्म बनी जिसे विदेशी भाषा श्रेणी में पुरुस्कृत होने का गौरव मिला था।  चूँकि नब्बे के दशक के आते आते टेलीविज़न ने सेटेलाइट के जरिये  अपना दायरा फैलाना आरम्भ कर दिया था तो ऑस्कर समारोह का प्रसारण अमरीकी महाद्वीप से निकलकर खुद ब खुद पूरी दुनिया को मोहित करने लगा था। भव्यता , अनूठापन , ताजगी और चकाचौंध से लबरेज यह समारोह दुनिया के साथ भारत को भी अपने आकर्षण में बाँध चूका था। देश में ऑस्कर को लेकर जूनून बढ़ने की एक वजह यह भी थी कि  नब्बे के दशक आते आते ' फिल्म फेयर ' अपनी साख गंवाने लगे थे। नए टीवी चैनल खुद अपने ही अवार्ड्स बांटने लगे थे। प्रतिभा और गुणवत्ता की जगह चमक धमक शीर्ष पर आगई थी। रेवड़ियों की तरह बटने वाले पुरुस्कारों ने फ़िल्मी पुरुस्कारों की विश्वसनीयता को धरातल पर ला दिया था। फिल्म फेयर की साख 1993 में उस समय रसातल में चली गई थी जब स्टेज पर  डिम्पल कपाड़िया ने बगैर लिफाफा खोले अनिल कपूर को बेस्ट एक्टर घोषित कर दिया था जबकि कयास आमिर खान के लगाए जा रहे थे।
   यद्धपि हालात आज भी ज्यादा नहीं बदले है। आज भी इन पुरुस्कारों को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता जितनी उत्सुकता से ऑस्कर का इंतजार किया जाता है। भारत की और से अभी तक 50  फिल्मे इस समारोह में हिस्सा ले चुकी है। 2019 के लिए भारत की और से भेजी गई असमी भाषा की फिल्म ' विलेज रॉकस्टार ' इस क्रम में इक्क्यावनवी फिल्म थी जो अगले राउंड में जाने के लिए उपयुक्त वोट हासिल न कर सकी और बाहर हो गई। भारत की और से इस श्रेणी में भेजी जाने वाली फिल्मों का चयन भी उनके फ़ाइनल में न पहुँचने की बड़ी वजह रहा है। पक्षपात और अपनों को  उपकृत करने के खेल ने कई अच्छी फिल्मों को ऑस्कर नहीं पहुँचने दिया है। 
ऑस्कर के लिए भारत से भेजी जाने वाली फिल्मों का चयन फिल्म फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र जूरी करती है जिसमे ग्यारह सदस्य है। यह जूरी कब फिल्मे देखती है और कब उनका चयन करती है यह बहुत बड़ा रहस्य है। क्योंकि फ़िल्मी दुनिया के वरिष्ठ और धाकड़ लोगों को भी ठीक ठीक पता नहीं है कि इस जूरी में कौन कौन लोग है। अतीत में जिस तरह की फिल्मे ऑस्कर के लिए भेजी गई है उससे इस चयन प्रक्रिया पर ही सवाल उठते रहे है। 1996 में इंडियन ' 1998 में ऐश्वर्या अभिनीत ' जींस ' 2007 में ' एकलव्य ' 2012 में ' बर्फी ' जैसे कुछ उदहारण है जो बताते है कि राजनीति और भाई भतीजावाद की भांग यहाँ भी घुली  हुई है। 
आगामी 24 फ़रवरी को जब समारोह पूर्वक ये पुरूस्कार वितरित किये जाएंगे तब हम सिने प्रेमी ' बेगानी शादी ' में ताकझांक करते शख्स की तरह टीवी पर नजरे गढ़ाए आहे भर रहे होंगे। हम और कर भी क्या सकते है ! 

Wednesday, December 5, 2018

MOWGLI: This is not a review . मोगली - यह समीक्षा नहीं है

दूरदर्शन ने अपने स्वर्णिम दिनों में ' जंगल बुक ' की एनिमेटेड सीरीज प्रसारित की थी। यधपि इस जापानी सीरीज को हिंदी वॉइसओवर के साथ के साथ दिखाया गया था जिसके लिए गुलजार साहब ने शीर्षक गीत लिखा था ' जंगल जंगल बात चली है पता चला है , चड्डी पहन के फूल खिला है ' आज पच्चीस बरस बाद भी हर छोटे बड़े की जुबान पर है। कोईआश्चर्य नहीं कि भारत में जन्मे ब्रिटिश लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कहानियों पर बनी ' जंगल बुक ' की लोकप्रियता आज भी  बरकरार है। इन कहानियों के केंद्रीय पात्र मोगली और जंगली जानवरों के सहअस्तित्व ने दर्शकों के अवचेतन में सभ्य समाज और जंगल के कानून के विरोधाभास को सहजता से उतार दिया है।   तकरीबन ढेड़ सदी पहले लिखी गई कहानियों ने एक कालजयी पुस्तक ' जंगल बुक ' का रूप लिया और कई पीढ़ियों की कल्पना में रंग घोलते हुए आज भी दर्शकों को लुभाने की क्षमता  बरकरार रखी  है।  इन कहानियों से प्रेरणा लेकर नई  कहानिया ,नाटक और फिल्मों का निर्माण लगातार हो रहा है। यह दुखद आश्चर्य है कि भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित इन कहानियों को फिल्माने में भारतीय सिनेमा पीछे रहा है। हॉलीवुड में हर काल खंड में इन कहानियों को दोहराया गया है। संभवतः मोगली की मासूमियत और जानवरों की दुनिया के दुस्साहस का रोमांच इसके लगातार दुहराव की वजह बना है। विज़ुअल इफ़ेक्ट और कंप्यूटर जनित दृश्यों के तालमेल ने फिल्मकारों की कल्पना को नए पंख दिए है। शीघ्र प्रदर्शित हो रही फिल्म ' मोगली ' में हॉलीवुड के बड़े सितारों और वीएफएक्स की मदद से दर्शनीय कारनामा रचा गया है। एंडी सर्किस के निर्देशन में बनी ' मोगली लीजेंड ऑफ़ द जंगल ' ' सिनेमाघरों में  3D के साथ और  नेटफ्लिक्स पर  टीवी दर्शकों के लिए  एक साथ  प्रदर्शित की जायेगी। मोगली ' में भारतीय मूल के रोहन चंद मुख्य भूमिका में है  आदिवासी लड़की की भूमिका फ्रीडा पिंटो ( स्लमडॉग मिलेनियर) ने निभाई है। फिल्म के अंग्रेजी संस्करण में हॉलीवुड के बड़े सितारों  क्रिस्चियन बेले , केट ब्लैंचेट , नाओमी हरिस , एंडी सर्किस आदि ने  अपनी आवाज दी है वही हिंदी वर्शन में अभिषेक बच्चन , जैकी श्रॉफ , करीना कपूर , अनिल कपूर  और माधुरी दीक्षित जैसे बड़े नामों ने अपनी आवाज दी है। 
किसी फिल्म के विचार से लेकर उसके दर्शकों तक पहुँचने में कितना समय लगता है , मोगली ' के बनने की कहानी को देखकर समझा जा सकता है। वार्नर ब्रदर्स ने 2012 में इस फिल्म के बारे में बात करना आरम्भ किया और स्टीव क्लोव , रोन हॉवर्ड ,एलेजैंड्रो गोंजालेज जैसे निर्देशकों से संपर्क किया परन्तु बात नहीं बनी अंत में एंडी सर्किस को जिम्मेदारी सौपी गई जो ' राइज ऑफ़ प्लेनेट ऍप जैसी चर्चित फिल्म निर्देशित कर चुके थे। 2014 में फिल्म के कलाकारों का चयन किया गया और 2015 में फिल्म की शूटिंग दक्षिण अफ्रीका में आरम्भ हुई। 2016 के अक्टूबर में फिल्म को रिलीज़ करना तय किया गया परन्तु एन वक्त पर महसूस हुआ कि  विज़ुअल इफेक्ट इतने प्रभावशाली नहीं है। चुनांचे विसुअल इफ़ेक्ट पर फिर से काम आरम्भ हुआ। इसी दौरान वाल्ट डिज्नी निर्मित ' जंगल बुक ' प्रदर्शित हो गई। दोनों के बीच अंतर रखने के लिए ' मोगली 'में इस बार जानबूझकर देरी की गई। 2018 में वार्नर ब्रदर्स ने मोगली के कॉपी राइट वीडियो स्ट्रीमिंग साइट नेटफ्लिक्स को बेच दिए जो इसे अब अपने प्लेटफार्म के साथ सिनेमाघरों में भी 7 दिसंबर को  प्रदर्शित करेगा। 
एंडी सर्किस की टीम में शामिल नामों को देखकर उम्मीद की जा सकती है कि '  मोगली लीजेंड ऑफ़ द जंगल   ' बॉक्स ऑफिस पर चमत्कार कर जायेगी। माइकेल सरसीन - डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी (वॉर फॉर प्लेनेट ऑफ़ एप ) गेरी फ्रीमैन -प्रोडक्शन डिज़ाइनर (टॉम्ब राइडर ) मार्क संगेर -एडिटर ( ग्रेविटी ) नितिन साहनी -संगीत ( ब्रीथ ) जैसे पेशेवर ' मोगली ' से उम्मीद बड़ा देते है। 

दिस इस नॉट अ पोलिटिकल पोस्ट

शेयर बाजार की उथल पुथल में सबसे ज्यादा नुकसान अपने  मुकेश सेठ को हुआ है। अरबपतियों की फेहरिस्त में अब वे इक्कीसवे नंबर पर चले गए है। यद्ध...