
कुछ तारीखे अगर किसी महत्वपूर्ण शख्सियत से न जुड़े तो वे फिर सिर्फ एक अंक भर रह जाती है। ऐसी ही एक तारीख है अठारह जुलाई जो इतिहास में सिर्फ नेल्सन मंडेला की वजह से अहम् हो गई। आज ही के दिन ठीक सौ वर्ष पूर्व इस महा मानव ने जन्म लिया था। काफी बाद में ' दक्षिण अफ्रीका के गांधी ' के नाम से लोकप्रिय हुए मंडेला ने अपनी जीवटता और महात्मा गांधी के सिद्धांतो पर चलकर नस्लवादी ब्रिटिश साम्राज्य को घुटनो पर ला दिया था। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के जुझारू कार्यकर्ता की हैसियत से अपना राजनीतिक जीवन आरम्भ करने वाले युवा मंडेला शुरुआत में अहिंसा के सिद्धांत के खासे विरोधी थे। षड्यंत्र और सत्ता विरोधी हिंसक गतिविधियों के चलते उन्हें जीवन के सत्ताईस बरस जेल में गुजारना पड़े। यही पुस्तकों के माध्यम से उन्हें गांधीजी के आदर्शो की जानकारी मिली। यह भी विचित्र संयोग ही है कि गांधीजी ने अपने राजनीतिक जीवन का ककहरा दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और नस्लवाद का विरोध करते हुए ही सीखा था। बेरिस्टर गांधी अपने जीवन के इक्कीस वर्ष दक्षिण अफ्रीका में बिता कर जब भारत लौट रहे थे तब नेल्सन मंडेला की उम्र महज चार वर्ष थी। यह गांधी जी की दूरदृस्टि थी कि उन्होंने अपने बिदाई भाषण में कहा था कि मेरे अधूरे कामों को इसी देश का कोई नागरिक पूर्ण करेगा। मंडेला ने यह सच कर दिखाया। एक कैदी से राष्ट्रपति बनने के सफर की रोमांचक कहानियों को शब्द मिले और शब्दों को सिनेमा का पर्दा भी मिला। नेल्सन मंडेला इतिहास की कुछ ऐसी हस्तियों में शामिल है जिन्हे सिर्फ एक फिल्म के माध्यम से नहीं समेटा जा सकता है। कभी वे शेक्सपीअर के शाही किरदारों की तरह कविताई शैली में भाषण देते नजर आते है तो कभी आग उगलते राजनेता की तरह, कभी विद्रोही , कभी शांति के पुरोधा तो कभी अश्वेतों के तारण हार । किसी भी अभिनेता के लिए जीवन के इतने विभिन्न और दुरूह रेशों को एक साथ पकड् पाना मुश्किल रहा है। इसलिए मंडेला पर बनी अधिकांश फिल्मे उनके जीवन के कुछ भावों तक ही सिमित रही है।

अंदर तक उतरने वाली आवाज , विनम्र रहस्य्मयी मुस्कान , एक बुजुर्ग की चहलकदमी - कभी बगीचे में , कभी अपने राष्ट्रपति कार्यालय में , कभी जेल कम्पाउंड में ,कभी गूढ़ रूप से विनम्र , धमकाते हुए ,सहयोगियों और विरोधियों को आश्चर्यचकित करते हुए - कई अभिनेताओं ने नेल्सन मंडेला के आलिशान जीवन के इन कई पलों को अलग अलग फिल्मों में परदे पर जीवंत किया है। मॉर्गन फ्रीमेन , डेविड हस्बेर्ट ,डेविड हारवुड ,टेर्रेंस होवार्ड , डेविड ग्लोवर , सिडनी पोइटर , क्लार्क पीटर , इदरीस अल्बा और लिंडन एनकोसी जैसे हॉलीवुड और दक्षिण अफ़्रीकी अभिनेताओं ने इस दुरूह पात्र को निभाने का प्रयास किया है। मंडेला के जीवन पर बनी अनेक फिल्मों में से मॉर्गन फ्रीमैन अभिनीत व क्लिंट ईस्टवूड द्वारा निर्मित ' इन्विक्टस (2009 ) और इदरीस अल्बा अभिनीत ' द लॉग वाक टू फ्रीडम (2013 ) ज्यादा विश्वनीय बायोपिक मानी जाती है। अधिकांश फिल्म समीक्षकों का मानना है कि अस्सी के दशक के बाद मंडेला पर बनी फिल्मों के नायक रिचर्ड एटेनबरो की क्लासिक ' गांधी (1983 ) के नायक बेन किंग्सले के अभिनय के पास पहुँचने की कोशिश करते नजर आते है। मंडेला पर बनी कुछ फिल्मे और टीवी धारावाहिक विवादास्पद भी रहे है। सिर्फ कारावास के वर्षों पर आधारित डेनिस हस्बेर्ट अभिनीत ' गुडबाय कलर ऑफ़ फ्रीडम (2007 ) मंडेला और उनके श्वेत पहरेदारो के दोस्ताना चित्रण की वजह से विवादित हो गई थी। मंडेला की प्रेमिका और बाद में जीवन संगिनी बनी विनी मंडेला के संबंधों पर भी एक टीवी फिल्म ब्रिटेन में रिलीज़ की जा चुकी है।