Monday, August 29, 2016

The Bicycle Thief (1949) : एक सम्मानित साईकल चोर :

कल्पना सदैव सुहानी होती रही है और वास्तविकता ( यथार्थ ) हमेशा कठोर और खुरदरी । सिनेमा के परदे
पर चुनचुनाती रोशनी ने सपनो की इतनी मोहक दुनिया बनायी है कि बरसों से करोडो दर्शक अपने जीवन की आपा-धापी , समस्याएं , तनाव , अधूरे सपनो की कसक , से मुक्ति के  लिए सिनेमा के घाट पर आते रहे है। यह एक  तरह से घर छोड़े बगैर पलायन कर जाने जैसा है। सिनेमा यथार्थ को तो नहीं बदल सकता परंतु आईना अवश्य दिखा सकता है। ये सपने दर्शक को तनाव मुक्त करने का सबब बनते है , बावजूद इन सपनों के कुछ फिल्मकार ' यथार्थ ' चित्रण का आग्रह लेकर फिल्म बनाते रहे है। और यह काम सिनेमा के हर काल में होता रहा है।
                      इसी तरह की एक पहल 1949 में हुई थी जिसने इटालियन सिनेमा को सम्मानजनक स्थान पर बैठा दिया। सेकंड वर्ल्ड वार की समाप्ति 1945 के बाद युद्ध में शामिल अधिकाँश देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। गरीबी , बेरोजगारी , भुखमरी अपने चरम पर थी।  यह यथार्थ था जिसे यूरोप के धनी देश भुगत रहे थे। और इसकी परिणीति हो रही थी   आम आदमी की असहायता , कुंठा और निराशा में।  निर्देशक विटोरी डी सिका ने इस सब को नजदीक से महसूस किया था और यही उनकी फिल्म The Bicycle Thief की विषय वस्तु बना। नायक की भूमिका एक फैक्ट्री में काम   करने वाले मजदुर ( Lamberto Maggiorani ) ने निभाई थी  6 वर्षीय पुत्र(Enzo Staiola) की भूमिका में सड़क पर फूल बेचने वाले के बेटे को चुना गया . ये थे Realistic फिल्म के रियल किरदार .
फिल्म की कहानी बहुत ही साधारण है . एंटोनियो रिक्की एक बेरोजगार है जिसका एक 6 साल का बेटा है घर पर पत्नी और एक बेटी गोद  में है . काम मिलने की एक मात्र शर्त है साईकल का होना . घर की एक मात्र कीमती धरोहर पलंग की बेड  शीट गिरवी रखकर सेकंड हैण्ड साइकिल खरीदी जाती है . दर्शक को मालूम है कि यह साइकिल चोरी होगी और ऐसा ही होता है . एक चोर साइकिल लेकर भाग जाता है . विकट हालात का और अधिक विकराल हो जाना . एंटोनियो अपने बेटे ब्रूनो के साथ  बदहवास साइकिल ढूंढता है . निराशा और पराजय से पस्त उनके चेहरे दर्शक को अंदर तक हिला देते है . कथानक रोम का है परंतु चमचमाते आम  शहरो में गरीबी और निराशा के हालात आपके अपने शहर जैसे ही है .
आधुनिकता और चकाचौन्ध पहले  मनुष्य को संवेदन शुन्य करते है फिर उसे अमीर गरीब की श्रेणी में बाँट देते है . महान चार्ली चैप्लिन ने अपनी साइलेंट फिल्मों में लाचारी और करुणा के भाव को उकेरा था . निर्देशक डी सिका ने इसी गहन पीड़ा दर्शाकर को चार्ली को अपनी आदरांजलि अर्पित की है .
1951 में ब्रिटिश पत्रिका sight & sound ने The Bicycle Thief को दुनिया की सर्वकालिक महान फिल्म घोषित किया था। 50 साल बाद 2001 में  एक और सर्वे ने इसे बेस्ट फिल्मों की सूची में 6 टा स्थान दिया। दुनिया का ऐसा कोनसा पुरूस्कार नहीं है जो इस Black and White फिल्म को नही मिला , ऐसा कोई फिल्मकार , आलोचक ,समीक्षक नहीं है जो इससे प्रभावित न हुआ हो।

Wednesday, August 24, 2016

हॉलीवुड vs बॉलीवुड : A comparison

एक मित्र ने प्रश्न किया है '' क्या बॉलीवुड कभी हॉलीवुड को शिकस्त दे पायेगा ? प्रश्न दिलचस्प है। एक दो फिल्मों के 300 या 500 करोड़ के कलेक्शन कर लेने से यह सवाल उठना स्वाभाविक  है। परंतु हकीकत कुछ और है। आंकड़ों की जुबानी श्रेष्ठता साबित की जाए तो जवाब '' हाँ '' होगा और गुणवत्ता के लिहाज से '' ना '' .
बॉलीवुड कोई फिजिकल ( भौतिक ) जगह नहीं है। मुम्बई के पुराने नाम ' बॉम्बे ' की वजह से यह नाम पड़ा है। क्योंकि भारत की चर्चित फिल्म इंडस्ट्री यही मौजूद है। जबकि ' हॉलीवुड ' लॉस एंजिल्स शहर में मौजूद है और एक पहाड़ पर बाकायदा इसका नाम  लिखा गया है।
बॉलीवुड ( इसे सम्पूर्ण भारत पढ़े ) में हर वर्ष तकरीबन 1000 फिल्मे बनाई जाती है। इसमें हिंदी की 200 \250 और शेष भारत ,खासकर दक्षिण में बनाई जाती है। हिंदी  और क्षेत्रीय भाषा में बनी अधिकाँश फिल्मे भारत में ही देखी जाती है। चुनिंदा फिल्मे ही विदेशों में रिलीज़ होती है और उनका दर्शक वर्ग भी भारतीय ही होता है। इसके उलट हॉलीवुड मात्र 200 फिल्मे एक साल में रिलीज़ करता है परंतु इंग्लिश में होने की वजह से वे दुनिया के पाँचों महाद्विपों में पहुँच बना लेती है। यही नहीं उनके सब्जेक्ट की अपील इतनी व्यापक होती है कि उनके ' लोकल ' भाषा में डब संस्करण भी आसानी से बन जाते है।
सिनेमा टिकिटों की बिक्री के लिहाज से बॉलीवुड अवश्य आगे है परंतु फिल्मों के रेवेन्यू में हॉलीवुड से कोसों पीछे है। पिछले दस वर्षों की टॉप टेन  फिल्मों ने भारत में जितना मुनाफ़ा कमाया है उसका पांच गुना  अकेले ' अवतार ' या फैंटास्टिक फॉर ' या  'एवेंजर ' ने कमाया है।बॉलीवुड का सालना टर्न ओवर 12400 \ 12500 करोड़ का है जबकि हॉलीवुड 9/10 बिलियन डॉलर की इंडस्ट्री है। मन समझाने के लिए आप बॉलीवुड को अमीर हॉलीवुड का गरीब रिश्तेदार कह सकते है ।
बॉलीवुड का सबसे बड़ा माइनस पॉइंट है उसका पिटी पिटाई लकीर पर चलना। यहां रिस्क लेने की आदत नहीं है।  क्षेत्रीय भाषा की सफल फिल्मों के रीमेक हिंदी में बनाकर परोसना , नई  कहानी , नए सब्जेक्ट को हाथ नहीं लगाना, फिल्मों का अभी भी संगीत और रोमांस प्रधान होना , सेक्स से बिचकना , ये ऐसे कुछ दायरे है जिनमे बॉलीवुड काम कर रहा है।
ऐसा नहीं है कि हॉलीवुड में कचरा फिल्मे नहीं बनती है। बनती है परन्तु उनका अनुपात कम होता है। वहां लगभग सभी जेनर ( श्रेणी ) की फिल्मे बनती है। प्रोडक्शन से पूर्व डट कर रिसर्च किया जाता है। यही वजह है कि काल्पनिक विषयों पर बनी हॉलीवुड फिल्मे वास्तविकता के नजदीक जान पड़ती है। कभी भी google कर लीजिये , दुनिया की टॉप मूवीज में हॉलीवुड की 25 /50 फिल्मे हमेशा मिलेगी।
  बॉलीवुड की तरह हॉलीवुड भी घोर कमर्शियल है परन्तु उन्होंने अपना एक स्टैण्डर्ड तय किया हुआ है। यह बात उनके फ़िल्मी पुरुस्कारों में साफ़ झलकती है।ऑस्कर जैसा विख्यात पुरूस्कार आज भी ऑस्कर अकादमी ही प्रायोजित करती है।  भारत में फ़िल्मी पुरुस्कारों के व्यवसायी करण ने सारी  हदे पार करते हुए  'पान मसाला ' और साबुन तेल बंनाने वाली कंपनियों को अपना प्रायोजक बनाकर पुरुस्कारो की विश्वसनीयता ही ख़त्म कर दी है।
बॉलीवुड को हॉलीवुड के सामने खड़े होने में अभी दो -तीन दशक लगेंगे। तब तक किसी तरह की तुलना बेमानी है।

Monday, August 15, 2016

GAME OF THRONE :रोमांचक गेम ऑफ़ थ्रोन

सेक्स , हिंसा और नग्नता से लबरेज (काल्पनिक ड्रामा ) टीवी शो game of throne का 6 टा सीजन हाल ही में अमेरिका में समाप्त हुआ है। भारतीय दर्शक इस शो को कभी अपने टीवी स्क्रीन पर नहीं देख पाएंगे क्योंकि इसमें तीनो तत्व इतनी प्रचुरता से मौजूद है कि सेंसर बोर्ड भांग खा कर भी इसे पास करने  की गुस्ताखी नहीं कर सकता। परन्तु पायरेसी के रास्ते इसके सभी एपिसोड 2012  से ही भारत में उपलब्ध है।  मेने इस धारावाहिक के कुछ amazing facts जुटाए है , इन्हें पढ़कर आप खुद को यह टीवी  शो देखने से रोक नहीं पाएंगे।

  1. George RR Martin के उपन्यास A Song of Fire and Ice पर आधारित है Game of Throne .
  2. यह पहला ऐसा टीवी शो है जिसकी शूटिंग 3 महाद्विपों के 6 देशों में हुई है। 
  3. HBO ने इसके प्रत्येक एपिसोड पर 60 लाख डॉलर खर्च किये है। फिर भी यह FRIENDS से पीछे है। FRIENDS के प्रत्येक  एपिसोड 10 मिलियन डॉलर में बने थे। 
  4. game of throne की स्टार कास्ट इतनी बड़ी है कि आप सभी एक्टर्स को साथ बैठा कर उनका ग्रुप फोटो नहीं ले सकते। 
  5. Bit Torrent व् Pirate bay जैसी साइट्स से इस टीवी शो को रिकॉर्ड 14 करोड़ बार डाउनलोड किया गया है।  
  6. GOT का एयर टाइम 50 मिनट से 69 मिनट तक का है। 
  7. VFX तकनीक का उपयोग इतनी उदारता से किया गया है कि हरेक द्रश्य सजीव हो उठा है। ' बाहुबली ' के द्रश्य इसके सामने ' बचकाने ' लगते है। 
  8. GOT के कुछ किरदार दुनिया भर में लोकप्रिय हो चुके है और उनके स्क्रीन नाम ' खालिसी ' ' टिरियोने ' 'सांसा ' आर्या ' लोगों ने अपने नवजात बच्चों को नामकरण करना आरम्भ कर दिया है। 
  9. हिंसा का ओवरडोज़ इतना तीव्र है कि पहले सीजन  से लेकर sixth सीजन तक 180 प्रमुख किरदारों को मौत के घाट उतारा जा चूका है। 
  10. 2012 में 24 एमी नॉमिनेशन में से 12 अवार्ड जीतने वाला game of throne दुनिया का पहला टीवी शो है। 
  11. कथानक इतना व्यापक है कि ' टाइटल क्रेडिट ' हर बार बदले जाते है। टाइटल में चलने वाला थीम म्यूजिक लगभग ढाई मिनिट का है। 
  12. GOT में उपयोग किये हुए हथियार दक्षिण भारत में बने है। 
  13. मीरन शहर की रानी खलिसी और गुलामों द्धारा बोली गई भाषा विशेष तौर पर भाषा वैज्ञानिकों ने  बनाई  है। 
  14. फिल्म और टीवी समीक्षक साइट IMBD एवं Rotten Tomato ने Game of Throne को 9. 5 की रेटिंग दी है जो सर्वाधिक है। 
     15      2017 में इसका सातवाँ और 2018  में आठवा सीजन आएगा।


Thursday, August 4, 2016

Back to the future (1985) :कॉमेडी और कल्पना का शानदार कॉम्बिनेशन

किसी से भी पुछ कर देखिये कि क्या वह गुजरे वक्त में एक बार फिर  जाना चाहेगा ? सौ में से सत्तर लोग एक सेकंड में ' यस ' कहेंगे। अधिकाँश लोग , फिर  वे किसी भी उम्र के क्यों न हो बीते समय को एक बार पुनः जी लेना चाहते है। उन कच्चे -पक्के पलों से फिर दो चार होना चाहते है जो अब उनकी उँगलियों से रेत  की तरह फिसल गए है। यधपि गुजरे समय में जा पाना ( Time Travel ) एक कल्पना है और इस  काल्पनिक सुख को लेकर काफी किताबे लिखी गई है  और इन पर कुछ अच्छी फिल्मे भी बनी है। साइंस स्टोरी लेखक  एच जी वेल्स की लिखी कहानी Time Machine पर बनी फिल्म सर्वश्रेष्ठ है।
मै यहाँ जिक्र करना चाहूँगा Back to the future (1985) का। यह फिल्म कॉमेडी और कल्पना का शानदार कॉम्बिनेशन है। अच्छी और सफल फिल्मों के विचार इतने सामान्य से रहे है कि एक बारगी मजाक में हंस कर उड़ाए जा सकते है। इस फिल्म के लेखक Bob Gale को घर के पुराने सामान से अपने पिता के स्कूल का रिपोर्ट कार्ड मिला। उस कार्ड के अनुसार  बॉब के पिता अपने स्कूल में प्रेसिडेंट थे जबकि बॉब अपने स्कूली जीवन में दब्बू और पढाई में कमजोर थे। रिपोर्ट कार्ड देखकर  बॉब के मन में जो पहला विचार आया वह यह था कि ' काश मै अपने पिता के साथ स्कूल में होता ' - इस एक लाइन के विचार ने 'बैक टू द फ्यूचर ' की नींव रख दी। Bob Gale ने अपने एक मित्र Robert Zemeckis के साथ मिलकर इस आईडिया को एक कहानी का रूप दिया परंतु दुर्भाग्य वश किसी को भी उनकी कहानी पसंद नहीं आई। चूँकि ये दोनों स्ट्रगलर थे इसलिए किसी भी बड़े छोटे स्टूडियो ने उन्हें भाव नहीं दिया। Disney ने तो इस कहानी को ' बकवास ' कह कर उनके मुँह पर ही स्क्रिप्ट फेंक दी थी। इसी दौर में स्टीवन स्पिलबर्ग बड़ी सफलता के लिए संघर्ष कर रहे थे , उन्हें यह कहानी पसंद आई और उन्होंने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया। 
16 साल का मार्टी मैकफ्लाय दुर्घटनावश अपने बुजुर्ग मित्र डॉ ब्राउन की टाइम मशीन कार में  बैठकर अपने समय से तीस साल पीछे 1955 में चला जाता है। प्लूटोनियम से चलने वाली इस कार में सिर्फ जाने का ही ईंधन है। यहां मार्टी अपने मम्मी पापा से मिलता है जो इस समय हाइस्कूल में पढ़ रहे है परंतु उनमे प्रेम नहीं हुआ है। मार्टी उन्हें मिलाने का जतन  करता है। निर्देशक रोबर्ट ज़ेमेकिस ने डायलॉग के साथ दृश्यों की बारीकी का भी बखूबी ध्यान रखा है। 1955 का फ़ैशन ,अखबार, संगीत, युवाओ की पसंद -नापसंद , कार के मॉडल , खान पान , पारिवारिक माहौल - एक कॉमेडी फिल्म के द्रश्यों में वास्तविकता ' बैक टू द फ्यूचर ' की खासियत है।
चालीस बार रिजेक्ट की गई यह फिल्म 1985 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। इसी वर्ष इसे 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मो में शामिल किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति ' रोनाल्ड रीगन ' ने ' स्टेट ऑफ़ यूनियन ' भाषण में भी इस फिल्म का जिक्र किया था।


दिस इस नॉट अ पोलिटिकल पोस्ट

शेयर बाजार की उथल पुथल में सबसे ज्यादा नुकसान अपने  मुकेश सेठ को हुआ है। अरबपतियों की फेहरिस्त में अब वे इक्कीसवे नंबर पर चले गए है। यद्ध...