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WHO IS GOD , AND WHAT DOES HE DO ? अक्सर लोग इस तरह की बहस में उलझते रहते है। कुछ अपने स्तर पर उसे जानने की कोशिश करते है और जिन्हे वह नहीं मिलता वे लोग बिचोलियों की मदद लेते है। खोज की इस प्रक्रिया ने एक बाजार खड़ा कर दिया है। ताजा हालातों में हम जो तमाम बाबाओ और तथाकथित संतो को देख रहे है वे इसी बाजार को अपने बल पर चला रहे है। परन्तु मूल प्रश्न अपनी जगह है। भगवान कौन है और वह आखिर करता क्या है ? ईसाई धर्म में उसे सर्वोच्च शक्ति माना गया है जबकि अन्य उसे अलौकिक शक्ति मानकर इसलिए पूजते है कि वह उनकी और प्रकृति की रक्षा करता है।
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फिल्म निर्माता जेमी युवास ने भगवान की परिभाषा अपने ढंग से गढ़ने की कोशिश की। 1984 में उन्होंने एक मजेदार फिल्म बनाई जिसका शीर्षक हमें एक दम चौंकाता है . GOD MUST BE CRAZY ( भगवान को पागल होना चाहिए ) या भगवान गुस्सा होंगे , फिल्म देखते हुए जब हमारा पेट दुखने लगता है तब समझ आता है कि क्यों कर यह टाइटल चुना गया होगा। फिल्म धार्मिकता और धर्म से बहुत दूर है। शुक्र है कि इसे अफ्रीका में बनाया गया है। अगर भारत में कोई इस तरह की पहल करता तो ? क्या मालुम ये बिचोलिये उसका क्या हस्र करते।
इस फिल्म के लेखक , निर्माता , और निर्देशक - सब कुछ जेमी युवास ही थे। जेमी एक एक प्रकृति वादी और जीव विज्ञानी भी थे। अपने जीवन की शुरुआत में उन्होंने जीव वैज्ञानिक के रूप में काम किया था। यही वजह है कि कालाहारी का मरुस्थल उनकी फिल्म में जीवंत हो उठा है।
कोका कोला की एक खाली बोतल , प्रकृति , और मासूम से वनवासी को लेकर जेमी ने हंसी का ऐसा तूफ़ान खड़ा किया है जो वर्षों बाद भी आपको मुस्कुराने पर मजबूर कर देता है।
फिल्म की कहानी आरम्भ होती है कालाहारी के ऊपर उड़ते विमान से फेंकी गयी कोक की खाली बोतल से। कालाहारी में रहने वालों के लिए यह आधुनिक जीवन की पहली वस्तु है। वे इसे भगवान का उपहार मानने लगते है। धीरे धीरे कबीले का हर सदस्य बोतल को अपने पास रखना चाहता है। विवाद बढ़ता देख बोतल को वापस भगवान को लौटाने का निश्चय किया जाता है। यह काम सौपा जाता है 'झी ' नाम के व्यक्ति को। झी निकल पड़ता है भगवान की तलाश में।
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एक हैरान परेशान जीव विज्ञानी ( ऐन्ड्रू स्टाइन ) अपने अनुसंधान के लिए जंगल में डेरा डाले हुए है। बोत्स्वाना से एक युवा स्कूल टीचर गाँव में पढ़ाने आरही है। आतंकवादियों का एक दल संसद पर हमला कर जंगल में छिपा हुआ है। भगवान की खोज में निकला झी इन सभी के रास्ते में आता रहता है। जेमी ने फिल्म के हर दृश्य को मेहनत से रचा है। आप जरा सी नजरे घुमाते है और ठठाकर हसने का एक कारण खो देते है . एक जीप है जो रोकने पर नहीं रूकती और कभी पेड़ पर लटक जाती है। गेंडे को जलती आग पसंद नहीं। ऐन्ड्रू कभी स्कूल टीचर को अपने मन की बात नहीं कह पाता। आतंकवादियों के दल में दो लोग हमेशा ताश खेलते रहते है , पुलिस की गोलीबारी के दौरान भी पत्ते उनके हाथ में ही रहते है। इस तरह के ढेरों प्रसंग है जो आपको बांधे रखते है।
अफ्रीकन अंग्रेजी में बनी इस फिल्म को दुनिया की हरेक भाषा में डब किया गया है। पांच मिलियन डॉलर के बजट में बनी इस फिल्म ने पाँचों महाद्वीपों के अधिकाँश देशों में दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया । इस फिल्म के सह नायक एंड्रू स्टाइन ने फिल्म ' गांधी ' में भी छोटी सी भूमिका अदा की थी। फिल्म के नायक झी की भूमिका नाइजीरिया के ग्रामीण निक्साउ ने निभाई थी। वे सारी उम्र अनपढ़ रहे और कभी बीस की संख्या से अधिक गिनना नहीं सीख पाये।
अमरीका में इस फिल्म की रिलीज के पूर्व 'न्यूयॉर्क टाइम्स 'और ' वाशिंगटन पोस्ट ' जैसे अखबारों ने अपनी समीक्षा में इस फिल्म को बकवास बताया था। परन्तु बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों ने सभी की बोलती बंद कर दी थी .
इस फिल्म को बार बार देखे । इसे न देखकर आप बहुत कुछ खो देंगे।