एक ब्लॉग पढ़ने में आया '' do you still read news paper '' . किसी अमेरिकन ब्लॉगर ने चिंता व्यक्त करते हुए लिखा है कि लोग अब समाचार पत्र नहीं पढ़ते। समय और नित नये गैजेट्स के आने के बाद से अखबार के प्रति लगाव काम हुआ है। निसंदेह। चौवीसों घंटे चलने वाले न्यूज़ चैनल और स्मार्ट फ़ोन में नौजूद एप्प इस गिरावट के प्रति जिम्मेवार है।
मुहे याद आता है , दस साल की उम्र में मुझे अखबार पढ़ने का चस्का लग गया था। शुरुआत सिर्फ हेड लाइन पड़ने से हुई थी। उन दिनों रंगीन अखबार के बारे में कोई सोंच भी नहीं सकता था। आवागमन के इतने साधन नहीं थे सो दोपहर तीन बजे के बाद अखबार बांटने वाले भैया की शकल दिखाई देती थी। मशहूर कॉमिक स्ट्रिप ' ब्लोंडी ' और मॉडेस्टी ब्लैज ' हमारी पहली पसंद हुआ करती थी। ''मॉडेस्टी ' दरअसल 'एडल्ट ' कॉमिक स्ट्रिप हुआ करती थी यह बात बरसों बाद समझ आई। बहरहाल ' केजीबी' औरसीआईए ' शब्द का मतलब उन दिनों इतना समझ में आया की इनका कही न कही जासूसी से सम्बन्ध है , और इसी साथ जिंदगी में कर्नल रंजीत ओमप्रकाश शर्मा , इब्ने सफी आये। कभी कभार जेम्स हेडली चेस भी पढ़ लिया करता था। जेम्स हेडली के उपन्यासों को कोई दूर से ही पहचान सकता था। उसके कवर पर हमेशा एक लड़की की तस्वीर हुआ करती थी जिसके हाथों में गन हुआ करती थी। कवर का कहानी से कोई लेना देना नहीं हुआ करता था। इन उपन्यासों को पढ़ने वालों को विशेष नजर से देखा जाता था। कर्नल रंजीत का किरदार बड़ा ही भव्य हुआ करता था। जब भी वे अपना सिगार जलाते थे , पाठक समझ जाता था कि अब यह केस हल होकर रहेगा। रंजीत की असिस्टेंट सोनिया बड़ी ही सुन्दर हुआ करती थी। हम लोग अक्सर आपस में सवाल किया करते थे कि '' ये लोग शादी क्यों नहीं कर लेते ? ' लिव इन रिलेशन ' का यह बेहतरीन उदहारण था जो उस समय समझ में नहीं आया था।
अचानक एक दिन ' जेबकतरे ' हाथ लगा। अमृता प्रीतम ने यह उपन्यास कॉलेज के छात्रों के जीवन , सपनों और उम्मीदों को रेखांकित करते हुए लिखा था। तब से अमृता जीवन में आगई और साहित्य की समझ आने लगी। उनके लिखे लगभग सभी उपन्यास पढ़ डाले है। उनकी आत्मकथा 'रसीदी टिकिट ' साहित्य और बेबाकी का शानदार मिश्रण है।
रांगेय राघव , श्रीलाल शुक्ल , कालिदास, सर आर्थर कॉनन डायल , शेक्सपिअर ,निर्मल वर्मा , अजित कौर , खुशवंत सिंह , भीष्म साहनी , शिवानी , फेहरिस्त लम्बी है। यह सिलसिला ख़त्म नहीं हुआ है। इस पढ़ने- पढ़ाने की वजह से बहुत से यादगार मित्र बने है। अब अक्सर में लोगों से पूछ बैठता हु '' आपने हाल ही में कौनसा उपन्यास पढ़ा है ?
अचानक एक दिन ' जेबकतरे ' हाथ लगा। अमृता प्रीतम ने यह उपन्यास कॉलेज के छात्रों के जीवन , सपनों और उम्मीदों को रेखांकित करते हुए लिखा था। तब से अमृता जीवन में आगई और साहित्य की समझ आने लगी। उनके लिखे लगभग सभी उपन्यास पढ़ डाले है। उनकी आत्मकथा 'रसीदी टिकिट ' साहित्य और बेबाकी का शानदार मिश्रण है।
रांगेय राघव , श्रीलाल शुक्ल , कालिदास, सर आर्थर कॉनन डायल , शेक्सपिअर ,निर्मल वर्मा , अजित कौर , खुशवंत सिंह , भीष्म साहनी , शिवानी , फेहरिस्त लम्बी है। यह सिलसिला ख़त्म नहीं हुआ है। इस पढ़ने- पढ़ाने की वजह से बहुत से यादगार मित्र बने है। अब अक्सर में लोगों से पूछ बैठता हु '' आपने हाल ही में कौनसा उपन्यास पढ़ा है ?
nice and atrrective lyric.
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