पूरी दुनिया इस समय तनाव के बादलों से ढंकी हुई है। इस समय कोई युद्ध किन्ही दो देशों के बीच नहीं चल रहा वरन देशों के अंदर ही लड़ा जारहा है। अफगानिस्तान अपने बोये बाबुल काट रहा है और सीरिया एवं ईराक आई एस आई नाम की गाजर घास से मुक्त होने की कोशिश कर रहे है। आतंकवाद एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आरहा है। अमेरिका हो या यूरोप या रूस सभी इस समय कम से कम एक बात पर तो सहमत है कि आई एस आई इस वक्त का गंभीर खतरा है।
इन दिनों एक और दिलचस्प युद्ध देखने में आरहा है। उपभोक्ता जगत की दो बड़ी कंपनी डाबर और मेरिको अपने हेयर आयल ब्रांड को लेकर आमने सामने है। इन दोनों के बीच जो चल रहा है उसे युद्ध ही कहेंगे क्योंकि ये अपने वर्चस्व को लेकर काफी आक्रामक हो रहे है। बड़ा मार्किट शेयर हथियाने के लिए दोनों ने ही विज्ञापन बाजी के सभी कायदे कानूनो को धता बता दी है। इनके विज्ञापनों में एक दूसरे का नाम लेकर खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने की जो होड़ चली है उसमे कही भी युद्ध विराम की गुंजाइश नजर नहीं आरही।
अखबार जगत में कुछ वर्षों से कम होते सर्कुलेशन की समस्या का निदान बड़े अखबारों ने यह निकाला है कि वे पूरा प्रथम पृष्ठ विज्ञापन के लिए आरक्षित करने लगे है । इस विधा को जैकेट नाम दिया गया है। अब किसी भी अखबार पहला पन्ना आम तौर पर तीसरे नंबर से आरम्भ होता है। चूँकि पाठक के हाथ जब अखबार लगता है तब सबसे पहले उसकी नजर जैकेट पर ही जाती और और यही विज्ञापन दाता का उद्देश्य पूरा हो जाता है। उपरोक्त दोनों ही कंपनियां इस समय इस तकनीक का भरपूर उपयोग कर रही है। इससे जहां आम उपभोक्ता को फायदा हो रहा है वही अखबारों को मुंहमांगा पैसा मिल रहा है।
इन दिनों एक और दिलचस्प युद्ध देखने में आरहा है। उपभोक्ता जगत की दो बड़ी कंपनी डाबर और मेरिको अपने हेयर आयल ब्रांड को लेकर आमने सामने है। इन दोनों के बीच जो चल रहा है उसे युद्ध ही कहेंगे क्योंकि ये अपने वर्चस्व को लेकर काफी आक्रामक हो रहे है। बड़ा मार्किट शेयर हथियाने के लिए दोनों ने ही विज्ञापन बाजी के सभी कायदे कानूनो को धता बता दी है। इनके विज्ञापनों में एक दूसरे का नाम लेकर खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने की जो होड़ चली है उसमे कही भी युद्ध विराम की गुंजाइश नजर नहीं आरही।
अखबार जगत में कुछ वर्षों से कम होते सर्कुलेशन की समस्या का निदान बड़े अखबारों ने यह निकाला है कि वे पूरा प्रथम पृष्ठ विज्ञापन के लिए आरक्षित करने लगे है । इस विधा को जैकेट नाम दिया गया है। अब किसी भी अखबार पहला पन्ना आम तौर पर तीसरे नंबर से आरम्भ होता है। चूँकि पाठक के हाथ जब अखबार लगता है तब सबसे पहले उसकी नजर जैकेट पर ही जाती और और यही विज्ञापन दाता का उद्देश्य पूरा हो जाता है। उपरोक्त दोनों ही कंपनियां इस समय इस तकनीक का भरपूर उपयोग कर रही है। इससे जहां आम उपभोक्ता को फायदा हो रहा है वही अखबारों को मुंहमांगा पैसा मिल रहा है।
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