2015 के अंतिम दिन देश के एक प्रतिष्ठित अखबार के ' इतिहास में आज का दिन ' कॉलम में रोचक खबर देखने में आई। अखबार के अनुसार आज से ठीक 415 वर्ष पूर्व सं 1600 में मुग़ल सम्राट जहांगीर ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी। जब मेने इस तथ्य को परखने के लिए google किया तो कुछ और ही नतीजे सामने आये। महान अकबर के इकलौते पुत्र जहांगीर ( सलीम ) ने 1605 में अपने पिता की मृत्यु के आठवे दिन शासन संभाला था और 1608 में इंग्लॅण्ड की रानी एलिजाबेथ के प्रतिनिधि सर टॉमस रॉय को गुजरात क्षेत्र में मसालों के कारोबार की अनुमति दी। उस समय इस कारोबार पर डच और पुर्तगाली व्यापारियों का दबदबा था। इस लिहाज से अखबार की खबर भ्रामक है। ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन असल में 408 वर्ष पूर्व माना जाना चाहिए।
चलिए !! जिक्र जहांगीर का निकला है तो उस के बारे में विस्तार से बात की जाए। महान अकबर के एकमात्र पुत्र सलीम , जिसे बाद में जहांगीर कहा गया , ने 22 वर्षों तक शासन किया था। उसका व्यक्तित्व बहुरंगी था। एक और जहां वह अपनी न्यायप्रियता के लिए जाना जाता था( जिन लोगों ने आगरा फोर्ट देखा है वहां कसौटी पत्थर से बना उसका सिंहासन अवश्य देखा होगा ) वही निजी जीवन में बेहद रसिक भी था। उसने 24 से ज्यादा विवाह किये थे। संभवतः उसकी इसी आसक्ति के चलते बाद के कहानीकारों ने अपनी और से अनारकली का पात्र उसकी कहानियों में जोड़ दिया। अनारकली का पात्र आज तक आम जीवन में इस तरह घुला हुआ है कि उसे काल्पनिक मानने को कोई तैयार नहीं है। जबकि इतिहास के किसी भी शोधग्रंथ और दस्तावेज में उसका जिक्र नहीं है। यह सच है कि अपने एक सेनापति शेरखान की युवा विधवा मेहरूंन निसा पर वह इस कदर आसक्त हुआ की उससे विवाह करके उसे अपनी प्रमुख बेगम बना लिया। आगे चलकर मेहरूंन निसा '' नूर जहां '' के नाम से जानी गई।
मुग़लकालीन ऐतिहासिक महिला पात्रो पर उपन्यास लिखने वाले जबलपुर निवासी लेखक सुरेशकुमार वर्मा के अनुसार 'नूरजहाँ ' अप्रितम सौंदर्य की धनी होने के साथ प्रतिभा संपन्न भी थी और राजनीति में भी गहरी दिलचस्पी लेती थी। यही वजह है कि उसे '' मलिका -ए -हिन्दुस्तान के खिताब से नवाजा गया।
जहांगीर ( सलीम) एक मात्र ऐसा मुग़ल सम्राट है जिस पर सबसे ज्यादा हिंदी फिल्मे बनी है।
चलिए !! जिक्र जहांगीर का निकला है तो उस के बारे में विस्तार से बात की जाए। महान अकबर के एकमात्र पुत्र सलीम , जिसे बाद में जहांगीर कहा गया , ने 22 वर्षों तक शासन किया था। उसका व्यक्तित्व बहुरंगी था। एक और जहां वह अपनी न्यायप्रियता के लिए जाना जाता था( जिन लोगों ने आगरा फोर्ट देखा है वहां कसौटी पत्थर से बना उसका सिंहासन अवश्य देखा होगा ) वही निजी जीवन में बेहद रसिक भी था। उसने 24 से ज्यादा विवाह किये थे। संभवतः उसकी इसी आसक्ति के चलते बाद के कहानीकारों ने अपनी और से अनारकली का पात्र उसकी कहानियों में जोड़ दिया। अनारकली का पात्र आज तक आम जीवन में इस तरह घुला हुआ है कि उसे काल्पनिक मानने को कोई तैयार नहीं है। जबकि इतिहास के किसी भी शोधग्रंथ और दस्तावेज में उसका जिक्र नहीं है। यह सच है कि अपने एक सेनापति शेरखान की युवा विधवा मेहरूंन निसा पर वह इस कदर आसक्त हुआ की उससे विवाह करके उसे अपनी प्रमुख बेगम बना लिया। आगे चलकर मेहरूंन निसा '' नूर जहां '' के नाम से जानी गई।
मुग़लकालीन ऐतिहासिक महिला पात्रो पर उपन्यास लिखने वाले जबलपुर निवासी लेखक सुरेशकुमार वर्मा के अनुसार 'नूरजहाँ ' अप्रितम सौंदर्य की धनी होने के साथ प्रतिभा संपन्न भी थी और राजनीति में भी गहरी दिलचस्पी लेती थी। यही वजह है कि उसे '' मलिका -ए -हिन्दुस्तान के खिताब से नवाजा गया।
जहांगीर ( सलीम) एक मात्र ऐसा मुग़ल सम्राट है जिस पर सबसे ज्यादा हिंदी फिल्मे बनी है।
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