'' आप की चाहत के मुन्तजिर है हम हर पल हर घड़ी '' ( i am waiting for your love every second every moment ) '' राष्ट्र के समय प्रहरी '' या '' देश की धड़कन '' (Time keeper of the nation , pulse of the nation ) इन पंक्तियों को पढ़ कर आपको कुछ याद आया ? ये है अस्सी के दशक देश की सबसे बड़ी घडी( watch ) निर्माता कंपनी HMT के विज्ञापन की झलक। वह दौर ऐसा था जब पिता परीक्षा में अव्वल आने पर पुत्र को हाथ घडी दिलाने का वादा करते थे। विवाह लायक लड़कियों की इच्छा हुआ करती थी कि शादी में उन्हें घडी का एक जोड़ा( couple set for both husband and wife ) अवश्य मिले . और थोड़ा पीछे लौटते है तो हमें हाजी मस्तान का नाम सुनाई देता है जिसने अपने जीवन की शुरुआत बंदरगाह पर महज पांच रूपये रोज पर एक कुली के रूप में की थी . यह दौर था जब देश में रेडिओ ,हाथ घडी , परफ्यूम आदि जहाजो में लदकर चोरी छिपे हिन्दुस्तान आया करता था। मस्तान ने इसी व्यवसाय को बढ़ाया और आगे चलकर इसी मस्तान का रोल अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म '' दीवार '' में इतनी शिद्दत से निभाया कि फिल्म कालजयी हो गई।परिवर्तन का चक्र कितनी कुर्बानिया लेता है इसका हिसाब रखने की जवाबदारी सिर्फ इतिहास के पास है। गत दिनों इस क्षण को सहेजने लिए बैंगलोर में HMT के बिक्री केन्द्रों पर लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी। इतिहास का हिस्सा बनने के लिए लोग HMT हाथ घड़िया खरीद रहे थे . दूर संचार विभाग ने जब '' टेलीग्राम '' सेवा बंद की थी तब लोग '' तार ' करने के लिए पोस्ट ऑफिस पर टूट पड़े थे। 'हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की मृत्यु पर मीडिया के साथ पूरा देश ग़मगीन हो उठा था। इतना प्यार उन्हें जीतेजी मिल जाता तो शायद उनकी साँसों को कुछ और वक्त मिल जाता। इत्तेफाक से गोपाल दास नीरज के गीत की पंक्ति याद आरही है -
स्वप्न झरे फूल से
मीत चुभे शूल से
लूट गए श्रृंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे ...
Jama badal gaya hai:
ReplyDeletehttp://www.apple.com/watch/
:-)
अच्छा लगा आपका ब्लॉग ....
ReplyDeleteसबका एक दौर होता है .....