परिवार किन चीजों से बनता है ? आपके जेहन में तुरंत कुछ बिंदु उभर आयेगे जैसे , त्याग, समर्पण , प्रेम , विश्वास , थोड़ी चुहल बाजी , थोड़ी बेवकूफी , थोड़ी समझदारी , गुस्सा , क्षणिक जलन , ये सारे तत्व एक सफल परिवार में होना जरुरी है। फिर चाहे वह भारतीय परिवार हो या अमेरिकन। कमोबेश हर देश के परिवारों में ये बाते समान रूप से पायी जाती रही है। इन्ही तत्वों को ध्यान में रखकर दो अमेरिकन निर्माताओ क्रमश क्रिस्टोफर लॉयड और स्टीवन लेवितान ने एक पारिवारिक टी वी धारावाहिक की कल्पना की और मंथन के बाद जो सामने आया वह था सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी शो '' मॉडर्न फैमिली '' 23 सितम्बर 2009 को ABC टेलेविज़न पर दस्तक देने के बाद हाल ही में इसने पांचवा सीजन संपन्न किया है।
एक आम मिडिल क्लास अमेरिकन परिवार कैसा होता है उसकी झलक 'मॉडर्न फैमिली ' में बखूबी दिखाई देती है। निर्माताओ का सोच भी यही था की भले ही कहानी काल्पनिक हो लेकिन पात्र और इनका रहन सहन वास्तविक होना चाहिए। तीन परियारों के इर्द गिर्द घूमता कथानक ऑउटडोर लोकेशन के दृश्यों में इतना रियल हो जाता है की दर्शक को वह कहानी नहीं वरन डॉक्यूमेंट्री लगने लगता है। इस टी वी सीरियल ने एकऔर बात को स्थापित किया है कि दूर संचार के बढ़ते साधनो ( means of telecommunications ) ने लोगो के अंदर दूसरों के प्रति सोंच को बदल कर रख दिया है . मोबाइल फ़ोन के अत्यधिक प्रयोग से लोगों का एक दूसरे के घर आना जाना ख़त्म होगया है जिस की वजह से मनुष्य अकेलेपन के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है . टेक्नॉलॉजी ने पहला शिकार सामाजिकता का किया है। परोक्ष रूप से यह सन्देश देने में मॉडर्न फैमिली सफल रहा है।
भारत में टेलीविजन के उदभव के समय दूरदर्शन ने मनोहर श्याम जोशी लिखित '' हम लोग '' का प्रसारण आरम्भ किया था जिसे जबरदस्त लोकप्रियता मिली थी। आज 30 साल बाद भी 'हम लोग ' लोगों के जेहन में सिर्फ इसलिए है क्योंकि उसने एक माध्यम वर्गीय परिवार के सपनो और तकलीफों को सपाट लहजे में पेश किया था।
मुझे नहीं मालुम कि ' मॉडर्न फैमिली ' के पात्रों ने 'हम लोग' के बारे में कुछ सुना या नहीं ? परन्तु दोनों धारावाहिक समय के दो छोर पर खड़े होकर एक ही बात करते प्रतीत होते है कि परिवार समाज की एक महत्त्व पूर्ण इकाई है और इसका बिखरना समाज के बिखराव की शुरुआत है।
( मॉडर्न फैमिली के हिस्से में इस हफ्ते एक और उपलब्धि जुडी है। इस धारावाहिक की प्रमुख पात्र कोलम्बियाई मूल की अभिनेत्री सोफ़िया वेरगारा स्क्रीन नाम ग्लोरिया प्रिशेत् फ़ोर्ब्स पत्रिका के अनुसार लगातार तीसरे वर्ष टेलीविजन पर सर्वाधिक कमाई करने वाली एक्टर बनी है। सोफ़िया प्रति एपिसोड 3.25 लाख डॉलर मेहनताना लेती है )
एक आम मिडिल क्लास अमेरिकन परिवार कैसा होता है उसकी झलक 'मॉडर्न फैमिली ' में बखूबी दिखाई देती है। निर्माताओ का सोच भी यही था की भले ही कहानी काल्पनिक हो लेकिन पात्र और इनका रहन सहन वास्तविक होना चाहिए। तीन परियारों के इर्द गिर्द घूमता कथानक ऑउटडोर लोकेशन के दृश्यों में इतना रियल हो जाता है की दर्शक को वह कहानी नहीं वरन डॉक्यूमेंट्री लगने लगता है। इस टी वी सीरियल ने एकऔर बात को स्थापित किया है कि दूर संचार के बढ़ते साधनो ( means of telecommunications ) ने लोगो के अंदर दूसरों के प्रति सोंच को बदल कर रख दिया है . मोबाइल फ़ोन के अत्यधिक प्रयोग से लोगों का एक दूसरे के घर आना जाना ख़त्म होगया है जिस की वजह से मनुष्य अकेलेपन के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है . टेक्नॉलॉजी ने पहला शिकार सामाजिकता का किया है। परोक्ष रूप से यह सन्देश देने में मॉडर्न फैमिली सफल रहा है।
भारत में टेलीविजन के उदभव के समय दूरदर्शन ने मनोहर श्याम जोशी लिखित '' हम लोग '' का प्रसारण आरम्भ किया था जिसे जबरदस्त लोकप्रियता मिली थी। आज 30 साल बाद भी 'हम लोग ' लोगों के जेहन में सिर्फ इसलिए है क्योंकि उसने एक माध्यम वर्गीय परिवार के सपनो और तकलीफों को सपाट लहजे में पेश किया था।
मुझे नहीं मालुम कि ' मॉडर्न फैमिली ' के पात्रों ने 'हम लोग' के बारे में कुछ सुना या नहीं ? परन्तु दोनों धारावाहिक समय के दो छोर पर खड़े होकर एक ही बात करते प्रतीत होते है कि परिवार समाज की एक महत्त्व पूर्ण इकाई है और इसका बिखरना समाज के बिखराव की शुरुआत है।
( मॉडर्न फैमिली के हिस्से में इस हफ्ते एक और उपलब्धि जुडी है। इस धारावाहिक की प्रमुख पात्र कोलम्बियाई मूल की अभिनेत्री सोफ़िया वेरगारा स्क्रीन नाम ग्लोरिया प्रिशेत् फ़ोर्ब्स पत्रिका के अनुसार लगातार तीसरे वर्ष टेलीविजन पर सर्वाधिक कमाई करने वाली एक्टर बनी है। सोफ़िया प्रति एपिसोड 3.25 लाख डॉलर मेहनताना लेती है )
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