Friday, September 19, 2014

story of my friend satyen..मेरे मित्र सत्येन की कहानी

''भेड़िये कानून के नियमों का पालन नहीं करते।  वे कुछ भी कर गुजर  सकते है। भेड़ियों के समाज में किसी बात की  पाबंदी नहीं है . भेड़िया नीति तब ही संकट में आती है जब वे पकडे जाते है ''                                                                                - रिचर्ड केली होस्किन्स

फ़िल्मी दुनिया की चकाचौंध में बहुत से स्याह पहलु अक्सर दबे रह जाते है। इनकी चर्चा भी नहीं होती। पीड़ित शोषित की आप बीती सुनने की फुर्सत कौन निकालेगा भला। आम तौर पर बाहर से देखकर पता नहीं चलता कि कोई सफल व्यक्ति कितने लोगों के हक़ छीन कर शिखर पर पहुंचा है। मेरे एक मित्र( सत्येन ) इन दिनों फिल्म नगरी मुंबई में संघर्षरत है। बहुत  अच्छा लिखते है लिहाजा उन्हें टीवी सीरियल के डायलाग लिखने के अवसर भी मिलते रहते है।  कलात्मकता के साथ उनमे रचनात्मकता(Artistry with creativity ) भी है  जिसकी वजह से उन्हें सेट डिजाइनिंग का मौका भी मिलता रहता है . इस कहानी का सिर्फ यही positive पहलु नहीं है।

सत्येन इन दिनों खासे परेशान है।  परेशानी की वजह पैसा नहीं है।  नाम है। उनसे जो भी काम करवाया जाता है उसका उन्हें पैसा तो मिल जाता है , क्रेडिट नहीं मिलता। उनके लिखे को दूसरे चर्चित लेखक के नाम से पेश कर दिया जाता है। यह समस्या सिर्फ सत्येन की नहीं है न ही अकेले फ़िल्मी दुनिया की है।  लगभग हर क्षेत्र में बड़ी मछली छोटी को निगलने की फिराक में है. ताकत की सत्ता में अक्सर प्रतिभाओ का मरण होता रहा है।
यह एक ऐसी लाइलाज बिमारी है जिससे हरेक कोई पीड़ित है।  हर कोई इससे छुटकारा पाना चाहता है परन्तु समाधान किसी के पास नहीं है।
कुछ वर्षों पूर्व एक टेलीविजन चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन '' कास्टिंग काउच '' के खिलाफ किया था। युवा लड़कियों और महिलाओं को फिल्म में एक छोटे से रोल के लिए किस हद तक मजबूर किया जाता है यह बात पहली बार घोषित रूप से सामने आई थी। इस धमाके के बाद इस तरह की घटनाए होना निश्चित रूप से बंद नहीं हुई होगी। जरुरत है आवाज उठाने की।  भले ही उससे कुछ हासिल न हो।विरोध तो दर्ज करना ही है।   भेड़ियों के पास यह सन्देश जाना जरुरी है कि भेड़ों ने अब सर झुका कर चलना छोड़ दिया है। 

image courtesy google.

5 comments:

  1. Sharda Jha Rajneesh Ji.. these facts are true and prevailing in the indusrty!! unless and until the person who has suffered because of this, won't come out, speak and be upfront, no one can help!! one has to fight his or her own battle. people will.come along, but one has to dare to walk the path.

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    1. please visit http://www.hinduastha.com/2015/03/guru-prashasth-path.html?m=1

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  2. Sunil Singh I have a solution to your friends problem. As you are my friend, I can offer my help to him. In case he needs it.

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  3. Satyen Sonu यहाँ हर कोई नाम चाहता है सर अस्तित्व की लड़ाई लड़ते लड़ते अस्तित्वहीन हो जाता है इंसान यहाँ यह चमकती मायानगरी है ही ऐसी

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  4. This comment has been removed by the author.

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