हॉलीवुड फिल्मों के प्रशंसकों को 1994 में आई फिल्म ' स्पीड ' अवश्य याद होगी। इस फिल्म के खलनायक डेनिस हॉपर फिरौती के लिए एक बस में बम रख देते है और टेलीविज़न के लाइव कवरेज से उसकी हर गतिविधि पर नजर रखते है। हर घटना का सीधा प्रसारण करने वाले न्यूज़ चैनल अपराधियों की कितनी मदद कर देते है , इस खतरनाक चूक की और यह फिल्म ध्यान आकर्षित करती है। इसी फिल्म में डेनिस हॉपर का डायलॉग ' टेलीविज़न भविष्य का हथियार है ' नए युग की आसन्न चुनौतियों की चेतावनी देता है। अमेरिका में इसी दौर में हर घटना का लाइव कवरेज चरम पर था और इस कला में अगुआ था सी एन एन जिसने लाइव कवरेज और टीवी पत्रकारिता में आज शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है।
यह वह दौर था जब सोशल मीडिया नाम का प्लेटफार्म अस्तित्व में नहीं आया था। लोग टेलीफोन और पत्रों से संवाद करते थे। नेटवर्किंग मीडिया नहीं था परन्तु लोग एक हद तक सोशल थे। आज के समय में निसंदेह सोशल मीडिया ने बड़ी बाधाओं को ध्वस्त कर दिया है परन्तु इसके दुरूपयोग ने सामजिक ताना बिखेर दिया है। अफवाहों का बाजार पहले भी गर्म होता था परन्तु अब सोशल नेटवर्किंग की आड़ में ख़बरों और अफवाहों की सुनामी चलाई जा रही है। कुछ और नहीं तो ऐतिहासिक तथ्यों और पात्रों को विवादों में घसीटा जा रहा है। इस माध्यम पर चलने वाले संदेशों को इतनी तीव्रता से फैलाया जाता है कि एक समाज या एक बड़े वर्ग की मानसिकता को सामूहिक रूप से इच्छानुसार मोड़ा जा सकता है। किसके फ्रीज में बीफ रखा है , कहाँ पर बच्चा चोर गिरोह सक्रिय है , किस ख्यात लेखिका ने कश्मीर पर बयान दिया , किस पूर्व मंत्री ने अपनी पत्नी की ह्त्या की जैसे अनगिनत उदाहरण है जहां इस माद्यम की वजह से तिल का ताड़ बना। हकीकत में अधिकाँश मामले वास्तविकता से कौसो दूर थे।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरूपयोग के नाम पर अब सोशल मीडिया पर लगाम लगाने की पहल नहीं की जा सकती न रोक लगाईं जा सकती है। यह अब काफी आगे निकल चूका है। कहने को देश में हर माध्यम के लिए नियामक संस्थाएँ है परन्तु उनको भी सरकारी आकांक्षाओं की पूर्ति का जरिया बना दिया गया है।
डेनिस हॉपर ने टीवी से दुनिया को डराया था परन्तु सोशल मीडिया उससे भी आगे जाकर सामजिक और जातिय नफरत फैलाने का सबब बन गया है। इस माध्यम के ' वाच डॉग ' वैसे तो पूरी मुस्तैदी से इस पर नजर रखे हुए है परन्तु वह नाकाफी है। इस प्लेटफार्म का उपयोग करने वालों को ही विवेक और संयम बरतना होगा अन्यथा वे किसी के भी बहकावे में आकर किसी भी पल अनियंत्रित भीड़ का हिस्सा बन जाएंगे।
सम्मान के लिये आभारी हूं ।
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteसोशल मीडिया पे ही लगाम क्यों लगाये जाये जबकि दुसरे मीडिया बेलगाम हैं ...
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