

फिल्मकारों की दिलचस्पी कमला के लेखन में नहीं वरन उनकी निजी जिंदगी में है । । अपनी आत्मकथा में उन्होंने बेबाक ढंग से अपने बारे में लिखा है। महज पंद्रह वर्ष की उम्र में ब्याह दी गई कमला ने स्वीकारा है कि उनके अन्य पुरुषों से भी संबंध थे।
इसी तरह का एक उदाहरण अमृता प्रीतम का भी है। पंजाबी की इस ख्यात लेखिका को ज्ञानपीठ पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है। अमृता की आत्मकथा ' रसीदी टिकिट ' भी साहित्य और साफगोई का बिरला मोती है। वर्षों तक पेंटर इमरोज के साथ लिव इन रिलेशन में रही अमृता गीतकार साहिर लुधियानवी की भी प्रेमिका रही। यह बात उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में अपनी आत्मकथा में स्वीकारी है। साहिर के लिखे अधिकांश फ़िल्मी गीतों में अमृता की उपस्तिथि को महसूस किया जा सकता है। अमृता के जीवन पर भी एक फिल्म की घोषणा हो चुकी है।
कहने को बॉलीवुड में दुनिया की सबसे ज्यादा फिल्मे बनती है परंतु उनका स्तर दोयम दर्जे का ही होता है। बायोपिक या आत्मकथ्य पर बनने वाली फिल्मो में जिस समझदारी और गंभीरता की जरुरत होती है उस तथ्य का बॉलीवुड में सर्वथा अभाव रहा है। अमृता या कमला अपने समय से आगे जीने वाली लेखिकाएं थी। इनके चरित्र के साथ पूरा न्याय होना चाहिए। सनसनी और उत्तेजना का आदि हो चूका भारतीय दर्शक इन फिल्मों में वही तलाशेगा जो उसे नहीं तलाशना चाहिए।