इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के निर्यात से समृद्धि के ढेर पर बैठे नए नवेले राज्य तेलंगाना के मुख्य मंत्री इन दिनों अलग वजह से सुर्खियां बटोर रहे है । चंद्रशेखर राव ( उनके मित्र और नजदीकी उन्हें स्नेह से सी के आर पुकारते है ) काफी धार्मिक प्रवृति के इंसान है । उनके धार्मिक होने से किसी को ऐतराज नहीं है । धर्म व्यक्ति की निजी पसंद है ।परंतु अति धार्मिकता में व्यक्ति तार्किक न होकर अंधविश्वासी ज्यादा हो जाता है । यही बात मुख्य मंत्री के साथ हो रही है । तेलंगाना के गठन में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद उसका प्रमुख बनने तक सी के आर ने काफी संघर्ष किया है ।उन्हें जो कुछ भी हासिल हुआ उसे वे भगवान् की देन मानते है । और कही कोई गड़बड़ न हो जाए इसलिए चोटी के ज्योतिषियों की राय लेते रहते है । यह विचित्र विरोधाभास है कि जिस हैदराबाद को बिल गेट्स ने भारत की सिलिकॉन वेली कहा था उस राज्य का प्रमुख इस कदर अंधविश्वासी व्यक्ति बना ।सत्ता सँभालते ही उन्हें सलाह दी गई कि उनके सरकारी निवास का वास्तु दोषपूर्ण है , लिहाजा रेकॉर्ड समय में एक विशाल मुख्य मंत्री आवास का निर्माण किया गया ।
भगवान का आभार मानने के लिये सी के आर समय समय पर आंध्र प्रदेश के मंदिरो में मुक्त हस्त से दान देते है । सिर्फ अखबार में छपे आंकड़ों पर विश्वास किया जाय तो यह रकम 11 करोड़ के आस पास बैठती है । इस बात पर भी किसी को आपत्ति नहीं है ।स्वतंत्र देश का नागरिक किसी भी मंदिर या धर्मस्थल को चाहे जितना दान दे सकता है ।
लेकिन आपत्ति है चंद्रशेखर राव की नीयत से । उन्होंने यह समस्त दान सरकारी खजाने से किया है । हाल ही में उन्होंने तिरुपति बालाजी को 5 करोड़ के स्वर्ण आभूषण चढ़ाये । यह रकम भी राज्य सरकार के खाते से भुगतान की गई । सी के आर की भक्ति पर सभी मौन है । वे भी जिन्होंने काले धन के मसले पर आसमान सर पर उठा लिया था । सार्वजनिक सफ़ेद धन के दुरुपयोग का ऐसा विलक्षण उदाहरण शायद ही दूसरा हो । समस्त दलों की चुप्पी भी मज़बूरी दर्शाती है । विरोध में उठने वाली आवाज को नास्तिक और अधार्मिक मान लिया जायगा ।यह ऐसा जोखिम है जिसे फिलवक्त कोई भी राजनेतिक दल नहीं लेना चाहेगा ।
सत्तर के दशक में डाकुओ पर बनी फिल्मो में डाकू लुटे हुए धन को देवी माँ के चरणों में अर्पित करते हुए दर्शाये जाते थे । सी के आर उन्ही के मॉडर्न वर्शन लगते है ।
भगवान का आभार मानने के लिये सी के आर समय समय पर आंध्र प्रदेश के मंदिरो में मुक्त हस्त से दान देते है । सिर्फ अखबार में छपे आंकड़ों पर विश्वास किया जाय तो यह रकम 11 करोड़ के आस पास बैठती है । इस बात पर भी किसी को आपत्ति नहीं है ।स्वतंत्र देश का नागरिक किसी भी मंदिर या धर्मस्थल को चाहे जितना दान दे सकता है ।
लेकिन आपत्ति है चंद्रशेखर राव की नीयत से । उन्होंने यह समस्त दान सरकारी खजाने से किया है । हाल ही में उन्होंने तिरुपति बालाजी को 5 करोड़ के स्वर्ण आभूषण चढ़ाये । यह रकम भी राज्य सरकार के खाते से भुगतान की गई । सी के आर की भक्ति पर सभी मौन है । वे भी जिन्होंने काले धन के मसले पर आसमान सर पर उठा लिया था । सार्वजनिक सफ़ेद धन के दुरुपयोग का ऐसा विलक्षण उदाहरण शायद ही दूसरा हो । समस्त दलों की चुप्पी भी मज़बूरी दर्शाती है । विरोध में उठने वाली आवाज को नास्तिक और अधार्मिक मान लिया जायगा ।यह ऐसा जोखिम है जिसे फिलवक्त कोई भी राजनेतिक दल नहीं लेना चाहेगा ।
सत्तर के दशक में डाकुओ पर बनी फिल्मो में डाकू लुटे हुए धन को देवी माँ के चरणों में अर्पित करते हुए दर्शाये जाते थे । सी के आर उन्ही के मॉडर्न वर्शन लगते है ।
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