लता मंगेशकर की आवाज में मीठी उदासी पसारता गीत '' उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते- इन दिनों हर आमों खास के चेहरे पर नुमाया हो रहा है। मोदी ट्वीटर , फेसबुक, मन की बात , और जन सभाओ में डट कर तंज कसते है परंतु शिकायत करते है कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। राहुल एक जमाने में लाख मनुहार करने के बाद भी चुप लगाए रहते थे अब उन्हें इस बात का गिला है कि उनके पास इतनी विस्फोटक सूचनाए है परंतु उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। उनके मुंह खोलते ही भूकंप आ जायेगा। मेन लाइन से लूप लाइन में डाल दी गई स्मृति ईरानी को भी ऐसी ही शिकायत है।
'' टाइम '' पत्रिका को भारत में कितने लोग खरीद कर पढ़ते है , यह एक रिसर्च का विषय है। एन वक्त पर मोदी को लाइन से बाहर कर डोनाल्ड को अपने कवर लाने की गुस्ताखी से भी कइयों शिकायत है। विरोध स्वरुप उन्होंने संसद की लायब्रेरी में फिल वक्त 'टाइम ' का बहिष्कार कर दिया है। इन्हें शिकवा है कि टाइम अपने इस रद्दोबदल पर सफाई भी नहीं दे रहा।
सोशल मीडिया के कई मीर तुर्रम ( दिग्विजय सिंह , आजम खान , योगी आदित्य नाथ मार्कण्डेय काटजू , बाबा रामदेव , राज ठाकरे )इस समय खामोश है। भारत की जनता जरूर इस बात से उदास है कि उसका मन माफिक मनोरंजन नहीं हो रहा है। समस्त पाटियों के धीर गंभीर नेता उनके चुप रहने से आसमान की और हाथ उठाकर ईश्वर को धन्यवाद दे रहे है।
कुछ लोगों के बोलने से शिकायत है और कुछ के चुप रहने से। गिरते पारे और बढ़ती सर्दी के बीच किशोर कुमार का गाया रोमांटिक गीत '' हम चुप है कि दिल सुन रहे है -धड़कनो को , आहटो को, साँसे रुक सी गई है सुनिये और मस्त रहिये।
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