7 दिसम्बर 2016 । यह तारीख इसलिए याद नहीं रखी जायेगी कि इस दिन सुश्री जयललिता को मरीना बीच पर दफनाया गया था और उनकी अंतिम यात्रा पर ढाई क्विंटल फूलों की बौछार की गई थी। वरन इसलिए याद किया जायगा कि इस दिन एक बड़ी लूट हुई थी जिसे मीडिया और सत्ता दोनों ने देखकर अनदेखा कर दिया। यह लूट थी जयललिता के परिवार की एकमात्र सदस्य भतीजी दीपा के साथ। दीपा को अंतिम संस्कार से दूर रखा गया ताकि वे कही अपने हक़ की बात न कर सके। जैसा करोडो लोगों ने अपने टीवी सेट पर देखा, इस खेल को जयललिता की अनन्य सखी शशिकला ने अंजाम दिया।
हिंदी फिल्मो के दर्शकों के लिए शशिकला नया नाम नहीं है। सौ से ज्यादा हिंदी फिल्मो में सपोर्टिंग एक्ट्रेस के रूप में काम कर चुकी यह सुडौल गोरीचिट्टी अभिनेत्री अपने खलनायिकी तेवरो के लिए
आज भी गाहे बगाहे याद की जाती है। मनमोहक अंदाज में या आँखों के तीव्र संचालन से ही शशिकला परदे पर ऐसा कहर ढाती थीकि परिवार बिखरे बगैर नहीं रहता था।
सखी शशिकला भी इसी पात्र को जी रही है। उन्होंने जयललिता के साथ रहकर वजूद बनाया , पैसा बनाया और रसूख भी बनाया। अब वे ए आई ए डी एम् के की भाग्य विधाता भी बनेगी। बहरहाल , जिन जयललिता का ब्राम्हण होने के कारण अंतिम संस्कार होना था वे दफना दी गई। उनके साथ ही पारिवारिक विरासत का प्रश्न भी दफना दिया गया। देश भर के तमाम खुर्राट और कद्दावर राजनेता इस प्रसंग पर चुप लगाए बैठे रहे। वजह स्पस्ट है। इन सभी को '' अम्मा '' के वोटो की फसल में अध बटाई जो करना है।
कर्मवादी यह सोंचकर चुप है कि 1987 में एम् जी रामचंद्रन की मृत्युं पर जयललिता ने भी यही सब किया था तो उन्हें इस बात का फल तो मिलना ही था। इसमें बुरा क्या है।
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