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लोग ऐसे भी होते है जो जन्म से ही कुछ मानसिक कमियों के साथ धरती पर आते है। इन्हें सारी उम्र किसी न किसी पर निर्भर रहना पड़ता है। नब्बे फ़ीसदी मामलों में इन लोगों को सहारा परिवार ही देता परंतु सामाजिक स्तर पर इन्हें बराबरी का सम्मान नहीं मिलता।
इस ब्लॉग में में आज जिस फिल्म की बात करने जा रहा हु उसका नायक savant syndrome से पीड़ित है। इस पात्र को निभाने वाले एक्टर Dustin Hoffman ने भूमिका को इतनी संवेदनशीलता से जिया था कि महज 100 दिनों में इस तरह की बीमारी या मानसिक मंदबुद्धि को लेकर इतनी जागरूकता आ गई जितनी 101 साल में नहीं हो पाई थी।
चार्ली बेबीट ( टॉम क्रूज ) लॉस एंजेल्स में एक ऑटोमोबाइल सेल्समेन है। स्वभाव से स्वार्थी और थोड़ा लालची भी। उसके पिता अपनी वसीयत में उसके नाम चालू हालात में एक पॉकेट वाच और 1949 मॉडल की ब्यूक रोडमास्टर कार छोड़ गए है। उसका गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच जाता है जब उसे मालुम पड़ता कि वे 3 मिलियन डॉलर का खजाना उसके बड़े मंदबुद्धि भाई रेमंड के नाम कर गए है जो इस समय एक सैनेटोरियम में दुनियाई हकीकत से अनजान जीवन बिता रहा है। चार्ली अपने बड़े भाई का अपहरण कर लेता है ताकि खुद को रेमंड का लीगल गार्जियन बनाकर पैसा हड़प सके।
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रोड ट्रिप चार्ली को बदल देती है। चार्ली महसूस करता है कि उसे अपने भाई को कुछ सिखाना चाहिए परंतु वह पाता है कि रेमंड ' स्पेशल ' है।आटिज्म ने जो दिवार उसके सामने कड़ी की थी वह दरकने लगती है साथ ही चार्ली जिस स्वार्थ और लालच की दिवार में कैद था वह भी ढह जाती है रेमंड भावनाएं और स्नेह समझने लगता।लेकिन बचपन की कुछ कड़वी स्मृतियों की वजह से उसे दौरे पड़ते रहते है। चार्ली को मालूम होता है कि उसकी तरह रेमंड को भी ' बीटल्स ' पसंद है। लॉस एंजेल्स में एक डॉक्टर चार्ली को ढाई लाख डॉलर लेकर रेमंड को हमेशा के लिए भूलने की पेशकश करता है परंतु चार्ली ऑफर को ठुकरा देता है। अब उसे अपने पिता से भी कोई शिकायत नहीं है। वह अपने भाई की खुद देखभाल करना चाहता है. वह रेमंड से प्यार करने लगा परंतु रेमंड तय नहीं कर पाता कि वह चार्ली के साथ रहे या सेनेटोरियम लौट जाए। चार्ली रेमंड को सेनेटोरियम लौट जाने देता है।
टॉम क्रूस इस फिल्म के केंद्र में है परंतु डस्टिन हॉफमैन का चरित्र इस फिल्म की जान है । 1988 की इस न भुलाये जाने वाली फिल्म ने चार ऑस्कर अवार्ड हासिल किये थे।
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