किसी फेवर के बदले सेक्स !! पुरुषों का यह मनोविकार लगभग जीवन के हरेक व्यावसायिक क्षेत्र में पाया जाता है। यद्धपि इसकी शिकायत कोई नहीं करता परंतु यह सर्वविदित है कि भाषाओ , कल्चर और भोगोलिक सीमाओ के परे यह बिमारी दुनिया के हरेक देश में मौजूद है। आमजन और सिने जगत की ख़बरों में दिलचस्पी रखने वाले इसे ''कास्टिंग काउच '' के नाम से जानते है। आमतौर पर इसकी शिकार शिकायत दर्ज नहीं करती , जब तक कि वह किसी प्रभावशाली बैकग्राउंड से न हो।
फिल्मों में छोटा सा रोल पाने के लिए नवोदित अभिनेत्रियों की भीड़ निर्माताओ और स्टूडियोज के इर्दगिर्द मंडराती रहती है। स्ट्रगल के दौर में महज एक ब्रेक के लिए इनकी मानसिक हालात ऐसी हो जाती है कि ये लोग स्थापित एक्टर से लेकर फाइनेन्सर तक का शिकार बनती है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक इस तरह के किस्सों की कमी नहीं है। गूगल कर लीजिये। हिंदी फिल्मों की दस जानी पहचानी अभिनेत्रियां इस नरक को भुगत कर अपनी आपबीती दुनिया के सामने ला चुकी है।
इस दुष्चक्र और अपमान से युवा लड़कियों को बचाने के लिए एक समय के लोकप्रिय सितारे '' अन्ना '' सुनील शेट्टी ने पहल की है। सुनील ने अपने कास्टिंग डायरेक्टर मित्र मुकेश छाबड़ा के साथ मिलकर एक कंपनी '' ऍफ़ द कास्टिंग '' की शुरुआत की है। यह कंपनी नवोदित अभिनेत्रियों को ऑनलाइन ऑडिशन का प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगी।
उम्मीद की जा सकती है कि देश के छोटे शहरो और कस्बों से आने वाली लडकियां मुम्बई आने की चकाचोंध में इस तरह के अंधेरों से बच जायेगी। परंतु यह भी मानना कि casting couch से एकदम मुक्ति मिल जायेगी , असंभव है।
यह समस्या पुरुषों की लोलुप मानसिकता से उपजी है। वे कब किसे अपना अगला शिकार बनायेगे, कहा नहीं जा सकता। इस बिमारी की जड़ें कितनी गहरी है इसका अंदाजा गुजरे समय की नंबर वन अभिनेत्री रेखा के इंटरव्यू से लगाया जा सकता है। उनसे पूछा गया था कि टॉप पर पहुँचने का शॉर्टकट क्या है ? बिंदास रेखा ने अंग्रेजी में जवाब दिया था '' स्टारडम का रास्ता बैडरूम से होकर जाता है ''
image courtesy: google
फिल्मों में छोटा सा रोल पाने के लिए नवोदित अभिनेत्रियों की भीड़ निर्माताओ और स्टूडियोज के इर्दगिर्द मंडराती रहती है। स्ट्रगल के दौर में महज एक ब्रेक के लिए इनकी मानसिक हालात ऐसी हो जाती है कि ये लोग स्थापित एक्टर से लेकर फाइनेन्सर तक का शिकार बनती है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक इस तरह के किस्सों की कमी नहीं है। गूगल कर लीजिये। हिंदी फिल्मों की दस जानी पहचानी अभिनेत्रियां इस नरक को भुगत कर अपनी आपबीती दुनिया के सामने ला चुकी है।
इस दुष्चक्र और अपमान से युवा लड़कियों को बचाने के लिए एक समय के लोकप्रिय सितारे '' अन्ना '' सुनील शेट्टी ने पहल की है। सुनील ने अपने कास्टिंग डायरेक्टर मित्र मुकेश छाबड़ा के साथ मिलकर एक कंपनी '' ऍफ़ द कास्टिंग '' की शुरुआत की है। यह कंपनी नवोदित अभिनेत्रियों को ऑनलाइन ऑडिशन का प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगी।
उम्मीद की जा सकती है कि देश के छोटे शहरो और कस्बों से आने वाली लडकियां मुम्बई आने की चकाचोंध में इस तरह के अंधेरों से बच जायेगी। परंतु यह भी मानना कि casting couch से एकदम मुक्ति मिल जायेगी , असंभव है।
यह समस्या पुरुषों की लोलुप मानसिकता से उपजी है। वे कब किसे अपना अगला शिकार बनायेगे, कहा नहीं जा सकता। इस बिमारी की जड़ें कितनी गहरी है इसका अंदाजा गुजरे समय की नंबर वन अभिनेत्री रेखा के इंटरव्यू से लगाया जा सकता है। उनसे पूछा गया था कि टॉप पर पहुँचने का शॉर्टकट क्या है ? बिंदास रेखा ने अंग्रेजी में जवाब दिया था '' स्टारडम का रास्ता बैडरूम से होकर जाता है ''
image courtesy: google
Well said sir
ReplyDelete