Wednesday, July 6, 2016

64 year young lady : 64 पार की रेखा नहीं बन सकती मेरिल स्ट्रीप

'' जब ऑस्कर विजेता  रूप में मेरा नाम पुकारा गया तो मेरे मन में यही विचार आया कि आज आधे से ज्यादा अमेरिका यही सोंच रहा होगा कि अब और नहीं , ऐसा नहीं हो सकता ......... फिर से इसका नाम ''
अगर किसी एक्टर को 17 बार अकादमी पुरूस्कार के लिए नामांकन मिले और अधिकाँश 40 -50 वर्ष की उम्र के बाद मिले तो किसी के भी मन में यह विचार आ सकता है। यहां बात हो रही है 64 वर्षीया मेरिल स्ट्रीप( Meryl Streep ) की जब 62 वर्ष की उम्र में उन्हें ' आयरन लेडी '(Iron Lady ) के लिए ऑस्कर मिला था।
जब हम हॉलीवुड अभिनेत्रियों को 60 पार की उम्र के बाद सम्मानित होते देखते है तो मन में ख़याल आता है कि क्या भारत के पास भी अपनी मेरिल स्ट्रीप है ? यद्धपि हिंदी सिनेमा में दमदार उम्रदराज अभिनेत्रिया है और दर्शक उन्हें अपने सर माथे पर बैठाने को तैयार भी है। परन्तु क्या उन्हें वैसे केंद्रीय किरदार मिलते है जो उनके अंदर की कुंद होती अभिनेत्री को अभिनय का खुला आसमान दे सके ? दस में से नौ लोगो का जवाब होगा - नहीं! हॉलीवुड की मेरिल स्ट्रीप , जुडी डेंच , हेलेन मिरेन   साठ साल की उम्र के बाद भी यादगार फिल्में करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सराहना और पुरूस्कार प्राप्त कर रही है। दरअसल समस्या मानसिकता की है। भारत में अभिनेत्रियों को तब तक ही काम मिलता है जब तक वे अपने ' लावण्य ' से परदे पर सनसनी पैदा करती रहे। चालीस पार नायिकाओं को काम मिलता भी है तो महज ' फिलर ' का या सपोर्टिंग एक्टर का। धक -धक गर्ल माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या अपनी दूसरी पारी में दर्शकों का मन नहीं जीत पाई। जबकि एक समय ये दोनों ' नंबर रेस ' में थी। तब्बू , प्रिटी जिंटा , रानी मुखर्जी, काजोल  प्रतिभा संपन्न होने के  बाद भी भीड़ में गुम  हो रही है। श्री देवी ने अपनी दूसरी इनिंग में ' इंग्लिश -विंग्लिश ' से धमाका दिया था परन्तु वैसी स्क्रिप्ट और आर बाल्की गौरी शिंदे जैसा डायरेक्टर कितनी  खुशनसीब नायिकाओं को मिलते है।


राखी गुलजार , शबाना आजमी ,शर्मिला टैगोर , डिंपल कपाड़िया ,  हेमा मालिनी ,वहीदा रहमान ,जीनत अमान ,नंदिता ,कोंकणा आदि के लिए वैसे रोल नहीं  लिखे जाते जैसे सलमान , रणवीर, इरफ़ान,आमिर, या अमिताभ बच्चन के लिए लिखे  जाते है।




बॉलीवुड के रुझानों पर सरसरी नजर दौड़ाने से एक बात स्पस्ट हो जाती है कि वे ही फिल्में बनाई जा रही है जिनके मुनाफा कमाने की संभावना ज्यादा रहती है। नयी  कहानियों या नए विषयों पर काम करने की रिस्क कोई नहीं लेना चाहता। सफलता के शार्ट कट ' री -मेक ' के ईजाद ने अधिकाँश फिल्मकारों के टैलेंट को पंगु  ही किया है।
क्या आप कल्पना कर सकते है कि करीना , कटरीना , दीपिका , श्रद्धा कपूर , जैकलीन,सोनाक्षी , सोनम , इलियाना , काजल, अपनी 50 वी वर्षगाँठ बतौर नायिका इस  फिल्म इंडस्ट्री में मना पाएगी ? दर्शकों की मानसिकता और बॉक्सऑफिस पर तथाकथित ' करोड़ क्लब ' की होड़ को देखते तो नहीं लगता की कभी नायिकाओं को यह सम्मान मिल पाएगा। अपवाद स्वरुप ऐसी फिल्में बनती रहेगी जिनमे नायिकाओं को थोड़ी तव्वज्जो मिलती रहेगी। परन्तु ऐसा सिर्फ अपवाद ही होगा।   लिहाजा ऐसी उम्मीद करना की झुर्रियों में छिपी रेखा की प्रतिभा मेरिल स्ट्रीप की बराबरी करते हुए केंद्रीय भूमिका में नजर आएगी - असम्भव है !!


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