आज से ठीक 85 वर्ष पूर्व ( 14 मार्च 1931 ) भारत की पहली बोलती फिल्म '' आलम आरा '' बॉम्बे के मैजेस्टिक सिनेमा में रिलीज़ हुई थी। इसमें सात गाने थे और डायलॉग भी उम्दा थे। दुनिया की पहली ' सवाक ' फिल्म '' '' '' जैज़ सिंगर '' ( 1927 अमेरिका ) के ठीक चार साल बाद भारत दूसरा देश बना था जो ' साइलेंट ' फिल्मो के दौर से बाहर आया था। आज पीछे मुड़ के देखते है तो पाते है कि ' आलम आरा ' का सिर्फ पोस्टर नेशनल आर्काइव ( national archive pune ) पुणे में संरक्षित ( preserve ) है। इस फिल्म का प्रिंट कब नष्ट हो गया किसी को नहीं मालुम !!
ऐसा नहीं है कि साइलेंट फिल्मो के प्रिंट सुरक्षित नहीं रखे गए। वह दौर ऐसा था जब संभवतः उस समय के निर्माताओ में पचास/ सौ साल आगे की सोच विकसित नहीं हुई होगी। यधपि अमेरिका में 1960 के दशक से ही इन फिल्मों के संरक्षण का काम आरम्भ हो गया था। इसकी बड़ी वजह वे आंकड़े थे जिन्होंने अमेरिकी समाज के जागरूक तबके को जैसे नींद से जगा दिया था। अमेरिका में 1929 के पूर्व बनी 90 प्रतिशत फिल्मों के प्रिंट साल संभाल में लापरवाही के चलते नष्ट हो गए थे। इस दौर में फिल्मों के प्रिंट cellulose nitrate से बनाये जाते थे जो अत्यंत ज्वलनशील था और जिस पर गर्म जलवायु का जल्दी असर होता था जिसकी वजह से प्रिंट जल्द ख़राब जाते थे।
भारत में इन फिल्मों को सहेजने का प्रयास 1980 के आसपास हुआ जब अमेरिका में यह बात एक आंदोलन का रूप ले चुकी थी। साइलेंट युग की 1700 फिल्मों में से मात्र 6 फिल्मे हमारे नेशनल आर्काइव में मौजूद है।जबकि हॉलीवुड 27000 से ज्यादा क्लासिक और लुप्तप्राय फिल्मों को अगली पीढ़ी के लिए सहेज चूका है।
हमारी ऐतिहासिक धरोहर लगभग शुन्य हो चुकी है। अब अमिताभ बच्चन ने इस मुहीम से खुद को जोड़कर संरक्षण के प्रयासों को रफ़्तार प्रदान की है।
ऐसा नहीं है कि साइलेंट फिल्मो के प्रिंट सुरक्षित नहीं रखे गए। वह दौर ऐसा था जब संभवतः उस समय के निर्माताओ में पचास/ सौ साल आगे की सोच विकसित नहीं हुई होगी। यधपि अमेरिका में 1960 के दशक से ही इन फिल्मों के संरक्षण का काम आरम्भ हो गया था। इसकी बड़ी वजह वे आंकड़े थे जिन्होंने अमेरिकी समाज के जागरूक तबके को जैसे नींद से जगा दिया था। अमेरिका में 1929 के पूर्व बनी 90 प्रतिशत फिल्मों के प्रिंट साल संभाल में लापरवाही के चलते नष्ट हो गए थे। इस दौर में फिल्मों के प्रिंट cellulose nitrate से बनाये जाते थे जो अत्यंत ज्वलनशील था और जिस पर गर्म जलवायु का जल्दी असर होता था जिसकी वजह से प्रिंट जल्द ख़राब जाते थे।
भारत में इन फिल्मों को सहेजने का प्रयास 1980 के आसपास हुआ जब अमेरिका में यह बात एक आंदोलन का रूप ले चुकी थी। साइलेंट युग की 1700 फिल्मों में से मात्र 6 फिल्मे हमारे नेशनल आर्काइव में मौजूद है।जबकि हॉलीवुड 27000 से ज्यादा क्लासिक और लुप्तप्राय फिल्मों को अगली पीढ़ी के लिए सहेज चूका है।
हमारी ऐतिहासिक धरोहर लगभग शुन्य हो चुकी है। अब अमिताभ बच्चन ने इस मुहीम से खुद को जोड़कर संरक्षण के प्रयासों को रफ़्तार प्रदान की है।
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