'' All of us face hard choices in our lives'' हम सभी अपने जीवन में कठिन विकल्पों का सामना करते है - कहते हुए श्रीमती हिलेरी क्लिंटन ने अपने चार साला कार्यकाल ( अमेरिकी विदेश मंत्री ) की स्मृतियों को एक किताब की शक्ल दी है। ' हार्ड चोइसेस ' ( HARD CHOICES ). किताब उनकी आत्मकथा नहीं कही जा सकती , अगर वे आत्मकथा लिखती तो निश्चित तौर पर कुछ खंड उनके पति , पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को लेकर भी होते , अमेरिकी मीडिया का मानना है कि यह किताब उनके अगला राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारियों का आगाज है। और ऐसे में भला वे क्यों कर बिल क्लिंटन की परछाइयों को गले लगाएगी ?
बहरहाल मीडिया ने उनकी किताब को भरपूर सकारात्मक बताया है।
अवाम को अफसानों और हकीकत का फर्क मालूम है। हकीकत , भले ही वह फिर कितने ही आवरण में सामने आये , उसके लिए लोग अखबार का इन्तजार करते है। परन्तु भोगे यथार्थ की कहानियाँ सदेव उत्सुकता जगाती है , इसलिए किताबो का सहारा लेना जरुरी हो जाता है . अखबार तो कल को रद्दी की भेंट चढ़ जाएगा। किताबे पीढ़ियां के काम आएगी।
इसी माह अभिनय सम्राट दिलीप कुमार पर उनकी पत्नी ने उदय तारा नायर के सहयोग से आत्म कथा '' SUBSTANCES AND SHADOW '' जारी की है। उल्लेखनीय है कि दिलीप कुमार पर अब तक चार किताबे आ चुकी है। निसंदेह उदय तारा ने बहुत अच्छा लिखा है परन्तु दिलीप कुमार स्वयं अपने मन की गाँठ खोलते तो बेहतर होता। पुरुस्कारों और प्रोत्साहनों से लदे उनके साठ साल के फ़िल्मी सफर की दास्तान उनकी ही जुबानी सुनना हरेक फिल्म प्रेमी की कामना थी। परदे पर जो कुछ घटा वह तो सर्वव्याप्त हो गया . परन्तु परदे के पीछे उनके समकालीन, उनकी आसमानी सुंदरता से लबरेज नायिकाए , उनका जूनून , ईर्ष्या , होड़ , सब कुछ अनकहा रह गया है। फिल्म के हरेक फ्रेम को जीवंत कर देने वाले मुखर कलाकार का यूँ अपने जीवन की शाम में स्मृति शुन्य हो जाना एक बड़ी त्रासदी है।
बहरहाल मीडिया ने उनकी किताब को भरपूर सकारात्मक बताया है।
अवाम को अफसानों और हकीकत का फर्क मालूम है। हकीकत , भले ही वह फिर कितने ही आवरण में सामने आये , उसके लिए लोग अखबार का इन्तजार करते है। परन्तु भोगे यथार्थ की कहानियाँ सदेव उत्सुकता जगाती है , इसलिए किताबो का सहारा लेना जरुरी हो जाता है . अखबार तो कल को रद्दी की भेंट चढ़ जाएगा। किताबे पीढ़ियां के काम आएगी।
इसी माह अभिनय सम्राट दिलीप कुमार पर उनकी पत्नी ने उदय तारा नायर के सहयोग से आत्म कथा '' SUBSTANCES AND SHADOW '' जारी की है। उल्लेखनीय है कि दिलीप कुमार पर अब तक चार किताबे आ चुकी है। निसंदेह उदय तारा ने बहुत अच्छा लिखा है परन्तु दिलीप कुमार स्वयं अपने मन की गाँठ खोलते तो बेहतर होता। पुरुस्कारों और प्रोत्साहनों से लदे उनके साठ साल के फ़िल्मी सफर की दास्तान उनकी ही जुबानी सुनना हरेक फिल्म प्रेमी की कामना थी। परदे पर जो कुछ घटा वह तो सर्वव्याप्त हो गया . परन्तु परदे के पीछे उनके समकालीन, उनकी आसमानी सुंदरता से लबरेज नायिकाए , उनका जूनून , ईर्ष्या , होड़ , सब कुछ अनकहा रह गया है। फिल्म के हरेक फ्रेम को जीवंत कर देने वाले मुखर कलाकार का यूँ अपने जीवन की शाम में स्मृति शुन्य हो जाना एक बड़ी त्रासदी है।