हम बॉलीवुड के किसी सितारे की तुलना हॉलीवुड के सितारों से कई कारणों से नहीं कर सकते। फिर भी थोड़ी बहुत तुलना करना जरुरी भी हो तो में अपने मित्रों को समझाने के लिए टॉम हैंक्स की तुलना आमिर खान से करना चाहूंगा। टॉम ने अपने फिल्म कॅरियर में डट कर प्रयोग किये है , आमिर की ही तरह उन्हें हर बार कुछ नया करते देखा गया है। चार दशक में फैले उनके सक्रिय फिल्म जीवन में कई उल्लेखनीय व बारंबार देखे जाने वाली फिल्मो में अभिनय कर उन्होंने इतिहास और दर्शकों के मन में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है। हाल ही में मेने टॉम अभिनीत ( 2004 में प्रदर्शित ) '' द टर्मिनल '' देखी। हास्य और करुणा का शानदार उदाहरण है यह फिल्म। स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित यह फिल्म उनकी अन्य फिल्मों की तरह धमाकेदार नहीं रही परन्तु उनका जादुई स्पर्श इस फिल्म को कालजयी बना गया है।
परिस्थितिया और कानूनी नियम किस तरह से एक आदमी को ' मजाक ' बनाकर रख देते है यही इस फिल्म की विषय वस्तु है। पूर्वी यूरोप के देश कार्कोजिया का नागरिक विक्टर नोव्रोस्की न्यूयॉर्क के जेएफके एयरपोर्ट पर उतरता है संयोग से उसे अंग्रेजी भी नहीं आती है। आव्रजन अधिकारी उसे बताते है कि उसके देश में गृहयुद्ध छिड़ गया है और अमेरिका ने कार्कोजिया की मान्यता रद्द करदी है। उसकी मुद्रा , पासपोर्ट और सभी दस्तावेज का कोई महत्त्व नहीं रह गया है। इस हालत में उसे अमेरिका में प्रवेश नहीं दिया जासकता। न उसे वापस भेजा जा सकता क्योंकि कार्कोजिया से आने और जाने वाली समस्त फ्लाइट निरस्त कर दी गई है चूँकि उसका कोई अपराध नहीं है इसलिए उसे गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता। वह एक बगैर देश का नागरिक है। विक्टर की मासूमियत और और परिस्थितिजन्य हास्य गुदगुदाने के साथ कई जगह रुला भी जाता है। नायिका कैथरीन जीटा जोंस और एयरपोर्ट के कर्मचारियों के साथ विक्टर की नोकझोंक और दोस्ती फिल्म को विस्तार देती है।
विदेशी नागरिक के रूप में टॉम हैंक्स ने इस किरदार को यादगार बना दिया है। फिल्म ख़त्म होने के बाद भी दर्शक विक्टर को भुला नहीं पाते है। उनका अटक अटक कर अंग्रेजी बोलने का लहजा तालिया बजाने को मजबूर कर देता है। 60 मिलियन डॉलर में बनी इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस ने भी निराश नहीं किया था। इस फिल्म ने उस समय 220 मिलियन डॉलर का व्यवसाय किया था। इस कथानक का मुख्य पात्र एयरपोर्ट भी है। एयरपोर्ट के फिल्मांकन के लिए स्पीलबर्ग ने दुनिया भर के एयरपोर्ट देख डाले थे परन्तु शूटिंग करने की अनुमती उन्हें कही नहीं मिली। थक हार कर उन्होंने अमेरिकी एयर फ़ोर्स के बेकार पड़े हेंगर में एयरपोर्ट का विशाल सेट खड़ा किया और उसमे सभी चीजे असली लगाकर उसे वास्तविक एयरपोर्ट बना दिया। रेस्टोरेंट , मैकडोनाल्ड , सभी कुछ असली था , यहाँ तक की कर्मचारियों की यूनिफार्म भी यूनाइटेड एयरलाइन्स ने उपलब्ध कराई थी।
यह फिल्म एक बहुत अच्छी अनुभूति है .
Rajneesh ji, What is the name of Napoleon's girlfriend and what gift he gave to her?
ReplyDeleteThis is one of my favorite movies. Thank you very much for reminding again.
Regards, Sunil