सलमान खान की हिट फिल्मो और सिंघम की शानदार सफलता ने बोलीवुड की हरियाली को विस्तार दिया है . फिल्मों का हिट होना फिल्म इंडस्ट्री के लिए ही नहीं वरन अर्थ -व्यवस्था के लिए भी अच्छा शगुन है . बोलीवुड फिलहाल साठ हजार लोगो को सीधे तौर पर रोजगार देता है . इसमें दक्षिण के सिनेमा उद्योग को और जोड़ दिया जाए तो आंकड़े और ज्यादा लुभावने हो जाते है . यंहा यह और स्पष्ट हो जाना चाहिए कि दक्षिण भारत में देश के उनसाठ प्रतिशत सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर है . प्राइज वाटर कूपर और फिक्की ने अपनी रिपोर्ट में फिल्म उद्योग को 9 .3 प्रतिशत की दर से बढने की धारणा व्यक्त की है , परन्तु बावजूद हालिया फिल्मो की सफलता के - द्रश्य सुहावना नहीं है . बोलीवुड अपने बड़े भाई होलीवुड की तरह नकारात्मक प्रगति दर्ज करा रहा है . यधपि गिरावट चिंतनीय नहीं है .पिछले वर्षों के आंकड़े इस छोटी सी चिंता की सही तस्वीर बयान कर देते है . सन 2009 /10 में फिल्मो के राजस्व में तीन प्रतिशत की कमी आई है . इस दौरान टिकटों की कुल बिक्री 8 .28 करोड़ रही . जबकि इसे 9 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाना था . ठीक इसी तरह अकेले अमरीका के सिने दर्शकों के आंकड़े देखे जाए तो वह भी माथे पर शिकन ला दते है . वंहा टिकिटों की बिक्री ने 1 .22 अरब के आंकड़े को छुआ है जो की पिछले वर्ष से आधा प्रतिशत कम है . आर्थिक मंदी ने जंहाँ हरेक वर्ग को अपने प्रभाव में लिया है वही ऐसे भी शेत्र है जो इस प्रभाव से अछूते रहे है . इस अवधि में टेलीविजन ने बारह प्रतिशत , अखबार ने छे प्रतिशत , रेडियों ने ग्यारह प्रतिशत ,और संगीत ने पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है .इन दोनों रिसर्च कंपनियों की रिपोर्ट सावधानी से चिंतन करने को प्रेरित करती है . बोलीवुड को अपना दायरा बढाने के लिए गंभीरता से कदम उठाने होंगे .यह सही है की भारतीय फिल्मे दुनिया भर के देशों में सराही जारही है परन्तु अगल बगल में पकिस्तान और बांगला देश में आज भी प्रतिबंधित है . सोनिया गांधी की हालिया यात्रा के बाद बांगला देश ने जरुर हमारी कुछ फिल्मों को प्रदर्शन की अनुमति दी है . परन्तु यह काफी नहीं है . दोनों देशों में बरसों से पायरेटेड रास्ते से फिल्मे प्रवेश कर रही है . अगर यही प्रवेश सही तरीके से हो तो अच्छे व्यवसाय की उम्मीद की जा सकती है.
बोलीवुड को एक और महत्वपूर्ण बात की और ध्यान देना होगा , जिस तरह रजनीकांत की 'रोबोट' तीन भाषा में रीलिज होकर '3 इडियट' से ज्यादा व्यवसाय कर गई ,
होलीवुड की फिल्मे हिंदी समेत शेत्रिय भाषाओ में डब होकर पहले हफ्ते में ही अपनी लागत निकाल देती है , उसी तरह हिंदी फिल्मो को भी शेत्रिय भाषाओ में डब होकर अपना दायरा बढाना होगा . 3 इडियट , ऐ वेडनेसडे , मुन्नाभाई सीरिज की फिल्मे , आदि आसानी से बोलीवुड को इस क्षेत्र में शुरुआत करने पर प्रेरित कर सकती है .
बोलीवुड को एक और महत्वपूर्ण बात की और ध्यान देना होगा , जिस तरह रजनीकांत की 'रोबोट' तीन भाषा में रीलिज होकर '3 इडियट' से ज्यादा व्यवसाय कर गई ,
होलीवुड की फिल्मे हिंदी समेत शेत्रिय भाषाओ में डब होकर पहले हफ्ते में ही अपनी लागत निकाल देती है , उसी तरह हिंदी फिल्मो को भी शेत्रिय भाषाओ में डब होकर अपना दायरा बढाना होगा . 3 इडियट , ऐ वेडनेसडे , मुन्नाभाई सीरिज की फिल्मे , आदि आसानी से बोलीवुड को इस क्षेत्र में शुरुआत करने पर प्रेरित कर सकती है .
Upyukt sujhav diya hai aapne.
ReplyDelete