Tuesday, April 14, 2020

दिस इस नॉट अ पोलिटिकल पोस्ट

शेयर बाजार की उथल पुथल में सबसे ज्यादा नुकसान अपने  मुकेश सेठ को हुआ है। अरबपतियों की फेहरिस्त में अब वे इक्कीसवे नंबर पर चले गए है। यद्धपि वे आज भी इंडिया में टॉप पर है परंतु अपने अमेरिकी दोस्तों के मुकाबले  उनकी हैसियत थोड़ी कमजोर हुई है। बिजनेस साईकल में यह ऊंच नीच चलती रहती है। अनिल भाई को ही देखो ! 2005 में जब दोनों भाई फ़िल्मी अंदाज में बंटवारे पर उतर आये तो बड़े बूढ़ों ( दीपक पारेख , मुरली देवड़ा , रतन टाटा ) को बीच में आना पड़ा ! उस समय अनिल भाई को जितना हिस्सा मिला था उस मान से वे दुनिया में छटे नंबर के अमीर कहलाये थे। कट - टू वर्तमान - आज वे भारत के सबसे बड़े कर्जदाता हो गए है। इस कहानी में एक दिलचस्प बात भी है।  दोनों ही भाइयों को अकूत संपति के बाद भी वह जनसमर्थन नहीं मिला जैसा आम बोलचाल में ' टाटा -बिड़ला ' को मिला हुआ है ! किसी को भी ज्यादा खर्च करते हुए  या अपने पैसे पर इतराते हुए देखकर  लोग कह उठते है - टाटा बिड़ला का सपूत बन रहा है ! मतलब अमीर कोई है तो सिर्फ टाटा - बिड़ला ही है ! मुकेश या अंबानी हो जाना किसी की जुबान पर नहीं आता। एक और सुन्दर उपमा है - धन्ना सेठ ! मुकेश भाई के ऊपर यह भी सूट नहीं करती। शायद उनका व्यक्तित्व  उनके अमीर होते हुए भी अमीर नहीं दिखने की दुविधा में उलझा नजर आता है। बहरहाल नो डाउट मुकेश भाई अरबपति थे और रहेंगे भी। फिलहाल जिस हवा में वे पतंग उड़ा रहे है इस समय वह उनके इशारे पर ही बह रही है !! इसलिए टेंशन नी लेने का ! 

1 comment:

  1. जी हाँ पॉलिटिकल कतई नहीं है। :) बहुत खूब।

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दिस इस नॉट अ पोलिटिकल पोस्ट

शेयर बाजार की उथल पुथल में सबसे ज्यादा नुकसान अपने  मुकेश सेठ को हुआ है। अरबपतियों की फेहरिस्त में अब वे इक्कीसवे नंबर पर चले गए है। यद्ध...