Thursday, April 11, 2019

सीमेंट की दरारों में उगा पीपल

जीवन सरल है या वजन है ? यह हमारी सोंच से तय होता है। सकारात्मक सोंच हमारी जीवन यात्रा की लय बदल सकती है। यधपि जीवन अनिश्चित है परन्तु यह पूरी तरह हम पर निर्भर है कि इसकी  बिखरी लड़ियों को समेट कर इसे संगीत की स्वरलिपि बनाये या डरावने सिस्मिक ग्राफ की शक्ल देवे। लेखक और साहित्यकार सरदार  खुशवंत सिंह ने सफल  जीवन जीने के कुछ सूत्र अपने अनुभव से विकसित किये थे। उनके सूत्रों में उल्लेखनीय थे -बचत की आदत डालना , गुस्सा नहीं होना , जीवन में समझदार जीवन साथी या दोस्त का हमेशा होना , जो आगे निकल गए उनसे ईर्ष्या नहीं करना और मन रमाने के लिए एक शौक जरूर होना। बेबाक बाते कहने के लिए मशहूर खुशवंत सिंह के जीवन में ये सारी बाते स्पस्ट झलकती थी। दुनिया में  कभी पहले या दूसरे नंबर के अमीर रहे विख्यात निवेशक वारेन बफे का मूलमंत्र था ' कभी क्रेडिट कार्ड का उपयोग मत करो ' महज तेरह  वर्ष की उम्र में स्टॉक मार्केट का रुख करने वाले बफे आज भी अपने पुश्तैनी घर में ही रहते है। बगैर तड़क भड़क के जीवन जीना भी एक मिसाल हो सकता है यह वारेन बफे से सीखा जा सकता है। पैसा साधन है साध्य नहीं , यह बात भी वारेन बफे और बिल गेट्स ने अपनी सम्पति का बड़ा हिस्सा परमार्थ में लगाकर दुनिया को दिखाई।    
जीवन को अलग नजरिए से देखना भी एक कला है जिसे थोड़े से प्रयास से आत्मसात किया जा सकता है। सिनेमाई इतिहास की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक ' फारेस्ट गंप ' का नायक आम लोगों से थोड़ा ' धीमा ' है। वह
मानसिक रूप से कमजोर है परन्तु अपने आसपास के लोगों के सिर्फ सकारात्मक पहलुओं को ही देखता है। वह उनके बाहरी रूप पर कोई राय नहीं बनाता , वे जैसे है उसी रूप में उन्हें स्वीकारता है।  वह चाहता है कि दुनिया में कोई किसी का शोषण न करे ! 
स्टीव जॉब ने जिन विकट परिस्तिथियों में अपने कैरियर की शुरुआत की थी वैसे हालात लगभग  सभी की जिंदगी में आते है। कुछ लोग धैर्य बनाये रखते हुए अपने व्यवहार को संतुलित रखते है परंतु कुछ झुँझला जाते है। झुंझलाहट दरअसल अधीरता की निशानी है जिसके बढ़ने का मतलब है कि वह व्यक्ति अपनी सरलता को खोता जा रहा है। एक बार यह चक्र आरंभ हुआ तो आप नैसर्गिकता से दूर होते जाते है जो  सफल जीवन की अनिवार्यता है। 
                 सरल और सकारात्मक दृष्टिकोण  से ही रोजमर्रा के जीवन में खुशियां आती है। हमें यह बात मानकर चलना चाहिए कि खुशियां यु ही रास्ते में पड़ी हुई नहीं मिलती, या तो उन्हें कमाना पड़ता है या फिर उनके लिए कुछ  कीमत अदा करनी होती है। हमने सीमेंट की दरारों में पीपल को पनपते देखा है। विपरीत परिस्तिथियों में खुद को थामे रखना आसान नहीं है। परंतु जो ऐसा कर जाते है वे ही जीवन की सुंदरता का आनंद ले पाते है।  एक और कालजयी फिल्म ' परसुइट ऑफ़ हैप्पीनेस ' का  नायक क्रिस गार्डनर अकल्पनीय मुश्किल स्थितियों के बावजूद जिस तरह संयत रहता है वह प्रेरणादायी है। पत्नी उसे इसलिए छोड़ देती है कि उसका जॉब अच्छा नहीं है।पत्नी के साथ ही घर और कार भी चली जाती है।  छे वर्ष के बेटे की जिम्मेदारी के साथ उसे  काम भी तलाशना है  और रात को सोने के लिए आसरा भी ढूँढना है लेकिन क्रिस हार  नहीं मानता उसे दुनिया से ज्यादा खुद पर विश्वास है। अपनी छोटी छोटी सफलता को वह उत्सव की तरह मनाता है।   वास्तविक कथानक पर आधारित यह फिल्म जीवन के कई सबक एक साथ दे जाती है। भविष्य अनिश्चित है , नयी शुरुआत करने की कोई निश्चित उम्र नहीं है , जब तक आप प्रयास करना नहीं छोड़ते उम्मीद आपका दामन थामे रहती है - इन सबसे गुजरकर जो भाव हमें महसूस होता है वही सफल जीवन है , वही खुशियां है , यह वही है जिसकी सबको तलाश है। 

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