जिंदगी सरल हो सकती है - अगर हम चाहे तो ! यह एक पंक्ति हमारी जीवन यात्रा की लय बदल सकती है। यह एक सर्व स्वीकार्य तथ्य है कि जीवन एक अबूझ पहेली है। इस पहेली को जीवन जीते हुए ही सुलझाया जा सकता है। न तो इसका फिक्स सिलेबस है न ही इसके लिए कोई हैंड बुक बनी है। ' फारेस्ट गंप ' ऐसी ही एक फिल्म है जो हमें जीवन जीने के तरीके सिखाती है। 1994 में प्रदर्शित यह अमेरिकन फिल्म श्रेष्ठ्तम फिल्मो में शामिल हो चुकी है। फारेस्ट गंप ' ऐसे व्यक्ति की जिंदगी को दर्शाती है जिसे जीवन से कुछ नहीं चाहिए। वह सिर्फ वात्सल्य , स्नेह और अन्वेषण के लिए ही जी रहा है। वह कभी नहीं चाहता है कि दुनिया में कोई किसी का शोषण करे ! उसे देखते हुए लगता है मानो वह एक यात्रा पर है जिसे हम लोग जीवन कहते है। यद्धपि वह हमारी तरह तेज नहीं है। हम उसे मंद बुद्धि भी कह सकते है परन्तु उसकी यही एक कमी उसे कमतर नहीं बेहतर बनाती है । उसे देखते हुए कई बार महसूस होता है कि हम नाहक ही गैर जरुरी चीजों के लिए दौड़ लगा रहे है।
विंस्टन ग्रोव के लिखे उपन्यास ' फारेस्ट गंप (1986) पर रोबर्ट ज़ेमेकिस ने 1994 में फिल्म बनाई और फारेस्ट की काया में उतरे अड़तीस वर्षीय टॉम हेंक। 1994 का साल हॉलीवुड के लिए कई मायनो में उल्लेखनीय रहा है। इसी एक वर्ष में फारेस्ट गंप के अलावा पल्प फिक्शन , शॉसांक रेडमशन , स्पीड और ' द लायन किंग ' जैसी फिल्मे रिलीज़ हुई थी जिन्हे सुपर हिट भी होना था और ट्रेंड भी सेट करना था। यह गजब का संयोग है कि इन सभी फिल्मों ने अपने जॉनर में मिसाल कायम की है।
फारेस्ट गंप की बचपन से लेकर अधेड़ होने तक की कहानी दर्शक के सामने से गुजरती है। वह मंदबुद्धि है परंतु कांच की तरह पारदर्शी मन का भोला भाला व्यक्ति है। अपने बचपन की दोस्त जेनी उसका इकलौता प्यार है जिसे जेनी की बेवफाई के बावजूद वह अंत तक निभाता है। बचपन में ' एल्विस प्रेस्ले ' उसका पडोसी है।वह कॉलेज फूटबाल का चैम्पियन बनता है बड़ा होकर वह बहुचर्चित ' वियतनाम युद्ध ' में हिस्सा लेता है। युद्ध के दौरान उसका अश्वेत दोस्त ' बूबा ' मारा जाता है जिसका सपना झींगा मछली का बिज़नेस करने का होता है। युद्ध से लौटकर फारेस्ट राष्ट्रपति मैडल से सम्मानित होता है और झींगा मछली का बिज़नेस शुरू करता है। इस काम में सफल होकर वह पूरी कंपनी बूबा के परिवार को सौंप देता है। पूरी फिल्म के दौरान हम फारेस्ट को बीसवीं सदी के अमेरिकी इतिहास की बड़ी घटनाओ का साक्षी होते देखते है। वह जॉन ऍफ़ केनेडी से मुलाकात करता है और ' बीटल्स ' के जॉन लेनन से भी मिलता है। वह क्रॉस कंट्री दौड़ भी लगाता है और पिंग पांग ' खेलते हुए चीन के खिलाडी को भी हराता है। कुख्यात वाटरगेट स्कैंडल के भंडाफोड़ का भी वह चश्मदीद बनता है । इस दौरान जेनी उसके जीवन में आती जाती रहती है। वह हरबार उसके विवाह के प्रस्ताव को ठुकराती है। अंत में एक गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर वह फारेस्ट के पास लौटती है। विवाह के एक वर्ष बाद बेटे को जन्म देकर उसकी मृत्यु हो जाती है।
टॉम हेंक फारेस्ट गंप के किरदार के लिए निर्माता की पहली पसंद नहीं थे। उनसे पहले जॉन ट्रावोल्टा , बिल मुर्रे और जॉन गुडमैन को प्रस्ताव दिया गया था परंतु तीनों ने ही इसे नकार दिया। इसी तरह जेनी की भूमिका के लिए डेमी मूर और निकोल किडमैन जैसी ख्यातनाम तारिकाओं से संपर्क किया गया और उनके इंकार के बाद आखिरकार रोबिन राइट पेन को चुना गया। कंप्यूटर जनित दृश्यों के सुंदर उपयोग ने इस काल्पनिक कथानक को हकीकत के एकदम नजदीक पहुंचा दिया है।
अपने सजीव अभिनय से टॉम हेंक ने इस फिल्म के लिए ' बेस्ट एक्टर ' का ऑस्कर कमाया और फिल्म को ' बेस्ट पिक्चर ' के ऑस्कर से नवाजा गया।
"जीवन चॉकलेट के डिब्बे की तरह है , आप कभी नही जान पाते कि आपको क्या मिलने वाला है " इस फ़िल्म का बहुचर्चित संवाद इस कहानी का सारांश है ।
आमिर खान ने अपने चौपनवे जन्मदिन पर घोषणा की है कि उन्होंने फारेस्ट गंप के अधिकार खरीद लिए है और इसे हिंदी में ' लाल सिंह चड्ढा ' के नाम से बनाया जाएगा। निसंदेह शीर्षक भूमिका वे ही निभायेंगे। किसी भी किरदार में उतरने के लिए आमिर जितने जतन करते है उसे देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि वे इस जटिल पात्र को हूबहू स्क्रीन पर उतार भी देंगे। परंतु इस फिल्म के विवादास्पद होने की संभावना भी बन सकती है। ' लाल सिंह चड्ढा ' एक सिख युवक होगा और किसी सिख का मंदबुद्धि होना इस समुदाय के लोग कितना पचा पाएंगे , देखने वाली बात होगी। इसी तरह वह कौनसे दिवंगत प्रधानमंत्रियों से मुलाक़ात करेगा यह बात भी कइयों को बैचेन कर देगी !
बहरहाल 'लाल सिंह चड्ढा ' को आने में समय लगेगा तब तक आप ' फारेस्ट गंप ' देख सकते है। इस फ़िल्म के कई प्रसंग आपको अंदर तक भिगो सकते हैं । एक सुन्दर हृदय स्पर्शीय फिल्म देखना यादगार अनुभव हो सकता है।
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