Thursday, December 21, 2017

चकाचौंध रोशनी के पीछे का अंधेरा !

इंडीसेंट प्रपोजल ' 1993 की इस हॉलीवुड फिल्म ने अपनी लागत का सात गुना मुनाफा कमाया था। नायक नायिका शादी कर चुके है और  बचपन के मित्र है। नायक (वुडी हर्रेलसन ) का सपना है अपनी खुद की रियल स्टेट कंपनी खोलना।  अपनी सारी जमा पूंजी लेकर वे लास वेगास इस उम्मीद से पहुँचते है कि जुए में धन कमा कर अपना सपना पूरा कर सकेंगे।  दुर्भाग्य से ऐसा होता नहीं।  रोलेट की टेबल पर वे अपनी सारी जमा पूंजी गंवा बैठते है। नायिका ( डेमी मूर ) बेहद खूबसूरत है। एक अरबपती व्यवसायी ( रोबर्ट रेडफ़ोर्ट ) यह देख उनके सामने प्रस्ताव रखता है कि अगर नायिका उसके साथ एक रात गुजार लेगी तो वह उन्हें एक मिलियन डॉलर दे सकता है । इस तरह के अप्रिय प्रस्ताव आमतौर पर संघर्षशील अभिनेत्रियों , कामकाजी , मजबूर महिलाओं को मिलते रहते हैं ।
 किसी फेवर के बदले सेक्स !! पुरुषों का यह मनोविकार लगभग जीवन के हरेक व्यावसायिक क्षेत्र में पाया जाता है। यद्धपि इसकी शिकायत कोई नहीं करता परंतु यह सर्वविदित है कि भाषाओ , कल्चर  और भोगोलिक सीमाओ के परे यह बिमारी दुनिया के हरेक देश  में मौजूद है। आमजन और सिने जगत की ख़बरों में दिलचस्पी रखने वाले इसे ''कास्टिंग काउच '' के नाम से जानते है। आमतौर पर इसकी शिकार शिकायत दर्ज नहीं करती , जब तक कि वह किसी प्रभावशाली बैकग्राउंड से न हो।
फिल्मों में एक छोटा सा रोल पाने के लिए नवोदित अभिनेत्रियों की भीड़ निर्माताओं और फिल्मी स्टूडियो के इर्द गिर्द मंडराती रहती है । स्ट्रगल के दौर में महज एक ब्रेक के लिए इनकी मानसिक हालात ऐसी हो जाती है कि ये स्थापित एक्टर से लेकर फाइनेन्सर तक की लोलुपता की शिकार बनती है । हिंदी फिल्मों की दर्जन भर अभिनेत्रियों इस नरक को भुगत कर अपनी आपबीती दुनिया के सामने ला चुकी है । दो माह पूर्व हॉलीवुड के प्रभाशाली और ' मीरामैक्स  ' स्टूडियो के सह संस्थापक हार्वे विन्स्टीन के बारे में न्यूयोर्क टाइम्स ने एक सनसनीखेज खुलासा किया । अखबार ने बताया कि अकादमी पुरस्कार से सम्मानित इस प्रोड्यूसर ने पचास से अधिक महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया है । 
उन्मुक्त जीवन के आदी अमेरिकी समाज के लिए भी यह खबर आघात की तरह थी । इस घटना ने ट्वीटर पर एक हैशटैग आंदोलन me too की शुरुआत की जो तुरंत ही सारी दुनिया में फ़ैल गया । इसकी शुरुआत सिने जगत से हुई परन्तु शीघ्र ही इसकी जद में संगीत , राजनीति, और शिक्षामें पसरे यौन शोषण के मामलों की ओर ध्यान आकर्षित करना आरंभ कर दिया । इस हैशटैग ने अपने क्षेत्र की स्थापित और सामान्य महिलाओं को एक ऐसा प्लेटफार्म दिया जहां वे अपने कड़वे अनुभव सारी दुनिया से साझा कर सकती है , अपने उत्पीड़क को उजागर कर सकती है . भारत में इस दुष्चक्र को रोकने के लिए एक छोटी से पहल बॉलीवुड स्टार ' अन्ना ' सुनील शेट्टी ने की है। सुनील शेट्टी ने अपने कास्टिंग डॉयरेक्टर मित्र मुकेश छाबड़ा के साथ मिलकर ' ऍफ़ द कास्टिंग ' नाम की कंपनी आरम्भ की है । इस पोर्टल पर नवोदित अभिनेत्री अपने वीडियो पोस्ट कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकती है । इस तरह के ऑनलाइन ऑडिशन अन्य बड़े निर्माता निर्देशक भी अपना रहे है । मुम्बई से दूर शहरों और कस्बो की युवतियां इस पहल से कास्टिंग काउच की शिकार होने से बच सकती है । यद्धपि सिर्फ एक दो लोगों के प्रयास करने से इस बीमारी के पूरी तरह समाप्त होने की आशा करना थोड़ा जल्दबाजी होगा । कास्टिंग काउच की जड़े कितनी गहरी है इसका अंदाजा गुजरे समय की शीर्ष अभिनेत्री रेखा के कथन से लगाया जा सकता है ।रेखा से पूछा गया था कि ' स्टारडम का शार्टकट  क्या है ?  बिंदास रेखा का जवाब था ' यहाँ महिलाओं के लिए सफलता का रास्ता बेडरूम से होकर जाता है !!  समस्या पुरुष मानसिकता की है जो हरदम शिकार की तलाश में रहती है । इंडीसेंट प्रपोजल को सिरे से नकार देना हरेक महिला का पहला अधिकार है और इस तरह के प्रस्ताव को रखने वाला नफरत के साथ प्रताड़ना का पात्र है । 


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