अमूमन हर वर्ष लगभग सितम्बर माह के अंतिम हफ्ते में भारत की और से ऑस्कर समारोह में हिस्सा लेने के लिए एक भारतीय भाषाई फिल्म का चयन किया जाता रहा है। यह पुरूस्कार समारोह आगामी मार्च में संपन्न होता रहा है। जैसे जैसे उत्तर भारत का तापमान गिरने लगता है वैसे वैसे देश में ' ऑस्कर ' को लेकर गर्माहट बढ़ने लगती है। प्रबुद्ध सिने प्रेमी उम्मीद से भरने लगते है कि शायद इस बरस दशकों से चला आरहा ऑस्कर का सूखा ख़त्म हो जाए ! पंद्रह बरस पहले (2002 ) यह सुनहरी ट्रॉफी भारत के हाथ से छिटक गई थी जब ' नो मेन्स लैंड ' ने ' लगान ' को शिकस्त देकर कई सपनो को ध्वस्त कर दिया था। हिंदी और क्षेत्रीय फिल्मों की दाल रोटी खाने वाला बॉलीवुड हॉलीवुड के सपने देखना बंद नहीं करता। बात चाहे विज्ञान फंतासियों की हो या फिर मानवीय रिश्तो पर बनी फिल्मों की , बॉलीवुड अधिकतर प्रेरणाए आयात करने के ज्यादा पक्ष में रहा है। ऑस्कर के सपनो का रंग इतना गाढ़ा होता कि फ़िल्मी दुनिया की अलसुबह तक चलने वाली पार्टिया हो या पेज थ्री पर दिखने वाली हस्तियां हो इस रंग में सरोबार दिखती है। सिर्फ फ़िल्मी सामग्री के भरोसे चलने वाले टेलीविज़न चैनल अपने तयशुदा कार्यक्रमों को परे रख हॉलीवुड को फोकस में ले आते है। कौनसी तारिका रेड कारपेट पर किस डिज़ाइनर का गाउन पहन कर किस पुरुष मित्र के साथ छटा बिखेरेगी , अमेरिकन और ब्रिटिश सट्टा बाजार किस फिल्म और किस सितारे पर दांव लगा रहे है जैसी अटकलों पर कीमती एयरटाइम खपाने लग जाते है।
ऑस्कर के लिए बॉलीवुड के जूनून को गैरजरूरी मानकर ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता। यद्धपि ये पुरस्कार ( विदेशी भाषा श्रेणी को छोड़कर ) सिर्फ और सिर्फ अमेरिकन फिल्मों के लिए ही है। परन्तु चकाचौंध और व्यापक प्रसारण के लिहाज से ये वैश्विक दर्जा हासिल कर चुके है। इस बार विदेशी भाषा श्रेणी में 92 देशों की फिल्मे टॉप फोर में आने के लिए संघर्ष करेंगी। जो की एक रिकॉर्ड है।
इस बार का ऑस्कर समारोह ( क्रम के हिसाब से 90 वां ) भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। हाल ही में पहली बार ऑस्कर अकादमी ने अपने मौजूदा 6688 सदस्यों में भारत के चुनिंदा सितारों और फिल्मकारों को शामिल कर सम्मानित किया है। आमिर खान , अमिताभ , ऐश्वर्या , प्रियंका , दीपिका , सलमान और इरफ़ान खान ,बुद्धदेब दास गुप्ता , मृणाल सेन आदि उन भारतीयों में से है जो इस बार फिल्मों की सभी श्रेष्ठ श्रेणियों के लिए वोट करेंगे। वैसे तीन दशक पहले (1987 ) दक्षिण भारतीय सितारे चिरंजीवी बाकायदा ऑस्कर समारोह में निमंत्रित होने का गौरव हासिल कर चुके है।
इस वर्ष भारत का प्रतिनिधित्व प्रतिभावान अभिनेता राजकुमार राव की फिल्म ' न्यूटन ' करेगी। 2010 में एकता कपूर निर्मित ' लव सेक्स और धोखा ' से अपने करियर का आगाज करने वाले राजकुमार फिल्म- दर- फिल्म '' कोई पो चे ' (2013 ) ' शाहिद ' (2013 राष्ट्रीय पुरूस्कार ) ' सिटी लाइट '( 2014 ) ' ट्रैप्ड ' ( 2017 ) से अपने अभिनय की विभिन्नताओं की छाप छोड़ते जा रहे है। महज चुनिंदा फिल्मों के सहारे राजकुमार ने दर्शकों में विशेष जगह बना ली है। दर्शकों का एक बड़ा वर्ग सिर्फ उनका नाम देखकर टिकिट खरीदने लगा है।
' न्यूटन ' टॉप फोर का सफर तय कर पाती है या नहीं इस बात में संशय है। ऑस्कर की हिमालयीन चढाई सिनेमाई गुणवत्ता , वैश्विक अपील और तटस्थ जूरी जैसे सँकरे रास्तो से होकर गुजरती है। एक्सपीरीमेंटल राजकुमार राव का सराहनीय न्यूटन क्या इतनी दूर जा पायेगा ? देखना दिलचस्प होगा। शुभकामनाएं।