Sunday, July 2, 2017

दर्शक के इन्तजार में फिल्मे

फिल्मों के अर्थशास्त्र को समझ पाना थोड़ा मुश्किल है। देश में  हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओ में हर वर्ष तकरीबन एक हजार फिल्मे बनायीं जाती है। कितनी फिल्मे अपनी लागत निकाल पाती है और कितनो की लागत पानी में चली जाती है इसका ठीक ठीक अनुमान लगाना सर खपाऊ कवायद है। जो फिल्मे अच्छा व्यवसाय करती है उनके बारे में हर चैनल और  समाचार पत्र विस्तार से बात करता है और चलन के मुताबिक़ फिस्सड्डी फिल्मों को तीसरे दिन भुला दिया जाता है। ये भुला दी गई फिल्मे कितने सपनो और कितने रुपयों की बलि लेती है , इस पर  शायद ही कोई चर्चा करता हो ! हमेशा की तरह फ्लॉप फिल्मो की संख्या हिट फिल्मों से ज्यादा रहती है। फिल्म निर्माण व्यवसाय की यह विचित्रता काबिले गौर है , बमुश्किल दस प्रतिशत फिल्मे अपनी लागत निकालती है। परन्तु इसके बाद भी हर वर्ष बनने वाली फिल्मों की संख्या बढ़ती जा रही है।  
होने को 2017 अभी आधा ही गुजरा है परन्तु कई बड़ी फिल्मे धूल धसरित हो गई है। अधिकांश  फिल्मे मीडियम बजट और डिफरेंट कथानक के बावजूद दर्शकों को सिनेमा घर तक नहीं ला पाई। यहां में इस वर्ष की प्रमुख  ' डिजास्टर ' फिल्मो की बात करूंगा। '' राब्ता '' की असफलता ने कृति  शेनन और सुशांत सिंह के करियर पर ग्रहण लगा दिया। इस फिल्म के गाने लोकप्रिय हो रहे थे और माना जा रहा था कि यह फिल्म सुशांत को बड़ा सितारा बना देगी। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। सफल तमिल फिल्म का रीमेक बनी ' ओके जानू ' आदित्य राय कपूर और श्रद्धा कपूर की सफल जोड़ी के बावजूद ठंडी रही जबकि इन्ही दोनों ने ' आशिकी 2 ' में समां बाँध दिया था। '' क्वीन '' की
सफलता ने कंगना रणावत को आत्मविश्वास से लबरेज कर दिया था। इसी आत्मविश्वास के चलते कंगना ने अपनी फीस ' रंगून ' के सह कलाकार शाहिद कपूर और सैफ अली खान के बराबर रखी थी। तीनो की फीस ने कालजयी हॉलिवुड फिल्म ' कासाब्लांका ' के हिंदी वर्शन रंगून को ओवर बजट कर दिया विशाल भारद्वाज के लिए यह झटका कम नहीं है। रंगून ने उनकी जमा पूंजी ख़त्म कर दी है। बंगाली फिल्म ' राजकहनि ' का रीमेक ' बेगम जान ' विद्या बालन और शानदार स्टार कास्ट के बावजूद बेनूर साबित हुआ। अमिताभ बच्चन के प्रशंसक मानते है कि बिग बी जिसको भी हाथ लगा देते है वह सोना हो जाता है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। 'सरकार 3 ' ने महज 9. 50 करोड़ का बिजनेस किया। सम्भवतः यह अमिताभ बच्चन के नाम से होने वाला निम्नतम कलेक्शन है। ' मेरी प्यारी बिंदु ' ( परिणीति चोपड़ा )' बैंक चोर ' ( रितेश देशमुख ) ' नूर ' ( सोनाक्षी सिन्हा ) दर्शकों के नोटिस में आये बगैर ही डब्बा हो गई। स्टाइलिश फिल्मकार जोड़ी अब्बास -मस्तान ने अतीत में कुछ बेहद सफल फिल्मे बनाई है। पुत्र मोह में अब्बास ने हादसा रचा ' मशीन ' . इस फिल्म का कलेक्शन उनकी सफल फिल्मों के पहले दिन के कलेक्शन से भी कम रहा।
नब्बे के दशक में विरार के छोकरे गोविंदा ने सफल फिल्मों की झड़ी लगा दी थी।  उनकी अधिकांश फिल्मों में कादर खान और शक्ति कपूर की कॉमेडी (?) एक दम  से जुबान पर चढ़ने वाले गीतों ( सरकाय लो खटिया ) ने गोविंदा को बिकाऊ स्टार बना दिया था। 140 फिल्म पुराने गोविंदा की हालिया रिलीज़ ' आगया हीरो ' ने उनकी दूसरी पारी की उम्मीदों को सिरे से नकार दिया है। 
 फ़िल्मी दुनिया में शुक्रवार का बड़ा महत्व है। इस दिन या तो दिवाली हो जाती है या मातम हो जाता है। विदित हो कि हर नई फिल्म अमूमन शुक्रवार को ही रिलीज़ होती है। इसी दिन कोई  सितारा सिनेमाई आकाश में  टिमटिमाने लगता है और कोई अस्त हो जाता है। फ्लॉप और हिट के बीच फिल्म इंडस्ट्री चलती रहती है। 

2 comments:

  1. जब तक फिल्मों का कंटेंट भारतीय दर्शकों के मानस को नहीं छुएगा, तब तक ऐसी घनघोर फिल्में आती जाती रहेंगी। अच्छे लेख के लिए हार्दिक बधाई।

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  2. जब तक फिल्मों का कंटेंट भारतीय दर्शकों के मानस को नहीं छुएगा, तब तक ऐसी घनघोर फिल्में आती जाती रहेंगी। अच्छे लेख के लिए हार्दिक बधाई।

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