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ये और इस तरह के सैकड़ों खुशनुमा विचार इन दिनों अखबार , टेलीविज़न और इन्टरनेट पर बहुतायत में तैर रहे है। सजग नागरिकों से मेरा आग्रह है कि वे अपने कुओं से बाहर निकले और सुचना के अधिकार का भरपूर प्रयोग करे। इस समय देश के चुनिंदा समाचार टेलेविज़न चेनलों को छोड़ कर अधिकाँश चेनल सरकार के शरणागत हो गए है। यही हाल कुछ राष्ट्रीय समाचार पत्रोँ का भी हुआ है। यहां सिर्फ इन्टरनेट ही एक मात्र ऐसा माध्यम बचा है जहां सच तलाशा जा सकता है। शुरुआत हमें अमेरिका से ही करना होगी क्योंकि इस देश ने जीवन के हरेक क्षेत्र में इतने बड़े स्टैण्डर्ड खड़े कर दिए है कि बगैर उनसे तुलना किये आप अपनी वास्तविकता नहीं जान सकते।
केशलेस इकॉनमी में टेक्स चोरी नहीं होती ? हमारे इनकम टेक्स डिपार्टमेंट की तरह अमेरिका में ' इंटरनल रेवेन्यू सर्विस ' नाम की संस्था व्यक्तिगत इनकम पर टैक्स वसूली का काम करती है। यह संस्था हर वर्ष टोटल टेक्स कलेक्शन और टैक्स चोरी के आंकड़े अप्रैल माह में जारी करती है। हाल ही में इस संस्था ने 2008 से 2010 के आंकड़ों की रिपोर्ट प्रस्तुत की है ( यह रिपोर्ट इन्टरनेट पर मौजूद है irsreport के नाम से सर्च की जा सकती है ) रिपोर्ट में टैक्स चोरी के अविश्वसनीय आंकड़े दिए गए है। चूँकि रिपोर्ट अमेरिकी सरकार की स्वीकृति से जारी होती है तो आंकड़ों पर विश्वास करना लाजमी हो जाता है। रिपोर्ट के कुछ अंशों पर मुलाहिजा फरमाइये !
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यह रिपोर्ट हमारे नीति निर्माताओ को आईना दिखा सकती है ,बशर्ते वे हकीकत को स्वीकार ले। 125 करोड़ की आबादी में महज 3 करोड़ लोग टैक्स जमा करते है । 85 प्रतिशत लोग मोबाइल का उपयोग करते है परंतु मात्र 34 प्रतिशत इंटरनेट की पहुच में है।
केशलेस इकॉनमी इतनी आसान है ? अमेरिका को इस अवस्था में पहुँचने में 20 बरस लगे थे। अपने आप से सवाल कीजिये ! क्या हम वहां दो बरस में पहुँच जायेगे ?
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