मुझे नहीं मालुम
यह क्या है ?
तुम जो चाहे नाम दो इसे /
अपलक तुम्हे ताकना
और आँखें बंद कर लेना /
हवा में तुम्हारी गंध
महसूसना और
गहरी सांस भर लेना /
कागज पर यूँ ही
कुछ लकीरें खींच देना
और उसमे तुम्हारा चेहरा
तलाशना /
सच में मुझे नहीं मालूम
यह क्या है /
तुम हो तो
ये साल , महीने , दिन
जिंदगी लगते है /
जैसे समंदर के किनारे
नावों की वजह से
भरोसेमंद लगते है।
यह क्या है ?
तुम जो चाहे नाम दो इसे /
अपलक तुम्हे ताकना
और आँखें बंद कर लेना /
हवा में तुम्हारी गंध
महसूसना और
गहरी सांस भर लेना /
कागज पर यूँ ही
कुछ लकीरें खींच देना
और उसमे तुम्हारा चेहरा
तलाशना /
सच में मुझे नहीं मालूम
यह क्या है /
तुम हो तो
ये साल , महीने , दिन
जिंदगी लगते है /
जैसे समंदर के किनारे
नावों की वजह से
भरोसेमंद लगते है।
Shaandar abhivyakti bhaavnao ki
ReplyDeleteसर आपका उत्साहवर्धन अतुलनीय है। कोटिश साधुवाद , धन्यवाद।
DeleteShaandar abhivyakti bhaavnao ki
ReplyDeleteएक कशिश है, एक आवाज़ है
ReplyDeleteकविता नहीं, ये तो जीवंत अहसास है
बहुत खूब
तुम कहाँ गुम हो मै कभी कभी तुम्हे बहुत मिस करता हु। थैंक्स।
Delete