“You don't have to burn books to destroy a culture. Just get people to stop reading them.”
― Ray Bradbury
इस कथन को इस सन्दर्भ में भी समझा जा सकता है कि संस्कृति को अगर ख़त्म करना है तो महिलाओ को किसी भी गतिविधि में न भाग लेने दो न देखने दो। ईरान इस समय इसी दौर से गुजर रहा है। हजारों साल पुरानी संस्कृति वाला यह देश इस समय बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहा है। इसकी बानगी आज देश के लगभग सभी अखबारों में छपी खबर से मिल रही है। खबर है कि ब्रिटिश मूल की एक ईरानी महिला को महज इसलिए एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है कि उन्होंने पुरुषों के वॉलीबाल मैच को देखने का प्रयास किया।
यह 2014 का साल है परन्तु ईरान इस कटमुल्लाई दौर से तीन दशकों से गुजर रहा है। इस तरह के वाकये का मजाक बनाने के लिए ईरान के प्रमुख फिल्मकार जफ़र पनाही ने 2006 में 'ऑफ़साइड ' ( offside) नामक फिल्म बनाई थी जिसने उन्हें अंतराष्ट्रीय फलक पर स्थापित कर दिया था। यह फिल्म फूटबाल के मैच पर आधारित थी। मजे की बात है- भरे हुए स्टेडियम के दृश्यों को छोड़कर फिल्म में एक भी दृश्य फूटबाल का नहीं था। दर्शकों के शोर से ही खेल का प्रभाव उत्पन्न करने की कोशिश की गई थी। 6 ईरानी महिलाओ का फूटबाल मैच देखने का जूनून इस फिल्म की कथा वस्तु है।
जफ़र पनाही ने एक साक्षात्कार में इस बात को स्वीकार किया था की इस फिल्म के विचार बिंदु उन्हें अपनी बेटी के फूटबाल प्रेम की वजह से आये थे।
फिल्म के केंद्र में वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग का मैच है जो ईरान और बहरीन के बीच खेला जाता है। 6 अलग अलग लडकियां इस मैच को देखना चाहती है परन्तु गार्ड्स उन्हें पुरषों के लिबास में होने के बावजूद पहचान कर पकड़ लेते है। मैच आरम्भ होने के पहले उन्हें स्टेडियम के गेट के पास एक बाड़े में बंद कर दिया जाता है। उनके ऊपर एक रोशनदान है जहां से स्टेडियम के दर्शकों का शोर सुनाई दे रहा है। लडकियां बुरी तरह बोर हो चुके एक गार्ड्स से खेल का आँखों देखा हाल सुनती रहती है। स्थितियां तब और मजेदार हो जाती है जब एक गार्ड एक लड़की के मोबाइल फ़ोन से अपने घर बात कर लेता है। एक और दृश्य में हालत मनोरंजक हो जाते है जब बंदी बनी लड़की टॉयलेट जाने की मांग करती है। गार्ड्स उसे एक मुखोटा पहना कर जेंट्स टॉयलेट में ले जाते है जहां से पुरषों को धक्के मारकर बहार निकाला जाता है।
जफ़र पनाही ने तीखे व्यंग का उपयोग करते हुए ईरान सरकार के चेहरे को उजागर किया है। मैच के सेकंड हाफ के दौरान लड़कियों को एक वेन में डालकर पुलिस मुख्यालय ले जाया जा रहा होता कि रेडियो पर घोषणा होती है की ईरान ने यह मैच 1 -0 से जीत लिया है। लोग सड़कों पर नाचने लगते है और पुलिस वेन के गार्ड भी सब कुछ भूलकर भीड़ में शामिल हो जाते है। लडकिया अपने आप रिहा हो जाती है।
image courtesy google.
― Ray Bradbury
इस कथन को इस सन्दर्भ में भी समझा जा सकता है कि संस्कृति को अगर ख़त्म करना है तो महिलाओ को किसी भी गतिविधि में न भाग लेने दो न देखने दो। ईरान इस समय इसी दौर से गुजर रहा है। हजारों साल पुरानी संस्कृति वाला यह देश इस समय बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहा है। इसकी बानगी आज देश के लगभग सभी अखबारों में छपी खबर से मिल रही है। खबर है कि ब्रिटिश मूल की एक ईरानी महिला को महज इसलिए एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है कि उन्होंने पुरुषों के वॉलीबाल मैच को देखने का प्रयास किया।
यह 2014 का साल है परन्तु ईरान इस कटमुल्लाई दौर से तीन दशकों से गुजर रहा है। इस तरह के वाकये का मजाक बनाने के लिए ईरान के प्रमुख फिल्मकार जफ़र पनाही ने 2006 में 'ऑफ़साइड ' ( offside) नामक फिल्म बनाई थी जिसने उन्हें अंतराष्ट्रीय फलक पर स्थापित कर दिया था। यह फिल्म फूटबाल के मैच पर आधारित थी। मजे की बात है- भरे हुए स्टेडियम के दृश्यों को छोड़कर फिल्म में एक भी दृश्य फूटबाल का नहीं था। दर्शकों के शोर से ही खेल का प्रभाव उत्पन्न करने की कोशिश की गई थी। 6 ईरानी महिलाओ का फूटबाल मैच देखने का जूनून इस फिल्म की कथा वस्तु है।
जफ़र पनाही ने एक साक्षात्कार में इस बात को स्वीकार किया था की इस फिल्म के विचार बिंदु उन्हें अपनी बेटी के फूटबाल प्रेम की वजह से आये थे।
फिल्म के केंद्र में वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग का मैच है जो ईरान और बहरीन के बीच खेला जाता है। 6 अलग अलग लडकियां इस मैच को देखना चाहती है परन्तु गार्ड्स उन्हें पुरषों के लिबास में होने के बावजूद पहचान कर पकड़ लेते है। मैच आरम्भ होने के पहले उन्हें स्टेडियम के गेट के पास एक बाड़े में बंद कर दिया जाता है। उनके ऊपर एक रोशनदान है जहां से स्टेडियम के दर्शकों का शोर सुनाई दे रहा है। लडकियां बुरी तरह बोर हो चुके एक गार्ड्स से खेल का आँखों देखा हाल सुनती रहती है। स्थितियां तब और मजेदार हो जाती है जब एक गार्ड एक लड़की के मोबाइल फ़ोन से अपने घर बात कर लेता है। एक और दृश्य में हालत मनोरंजक हो जाते है जब बंदी बनी लड़की टॉयलेट जाने की मांग करती है। गार्ड्स उसे एक मुखोटा पहना कर जेंट्स टॉयलेट में ले जाते है जहां से पुरषों को धक्के मारकर बहार निकाला जाता है।
जफ़र पनाही ने तीखे व्यंग का उपयोग करते हुए ईरान सरकार के चेहरे को उजागर किया है। मैच के सेकंड हाफ के दौरान लड़कियों को एक वेन में डालकर पुलिस मुख्यालय ले जाया जा रहा होता कि रेडियो पर घोषणा होती है की ईरान ने यह मैच 1 -0 से जीत लिया है। लोग सड़कों पर नाचने लगते है और पुलिस वेन के गार्ड भी सब कुछ भूलकर भीड़ में शामिल हो जाते है। लडकिया अपने आप रिहा हो जाती है।
image courtesy google.
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