''गोडफादर ''एक ऐसी ही कृति है . मारियो पूजो द्वारा रचित इस कहानी (1969 ) पर फ्रांसिस फोर्ड कपोला ने इसी नाम से फिल्म बनाई(1972 ) . महज एक माह के अन्दर फिल्म ने अपना परचम फैला दिया . इसी बरस इस फिल्म ने तीन अकादमी पुरस्कार अपनी झोली में डाले .
मारियो पूजो ने पत्रकारिता करते हुए अपने जीवन कि शुरुआत की थी. यही पर उन्होंने असंगठित अपराध को माफिया की शक्ल लेते देखा था . आगे चल कर यह अनुभव ही उनके उपन्यास के लिए महत्वपूर्ण बने . पांच बच्चो के पिता मारियों ने अपने उपन्यास के मुख्य पात्र डान कोर्लिओनी का परिवार भी खासा बड़ा रखा. अपराध पर बनी इस फिल्म में 29 मिनिट का एक दिलचस्प दृश्य डॉन की बेटी के विवाह का है। निर्देशक ने इस दृश्य में अधिकांश चरित्रों का परिचय कराते हुए डॉन के किरदार के अनछुए पहलुओं को हाईलाइट किया है।
गोडफादर प्रथम ने जंहा मर्लिन ब्रांडो को किम्वदंती बना दिया वही गोडफादर द्वितीय ने अल पचीनो को सितारा हैसियत दिलाई . दुनिया भर में आज भी उपन्यास और फिल्म दोनों ही रूप में यह कृति सराही जा रही है . आज भी दुनिया भर के फिल्मकार इस महाकाव्य से' प्रेरणा ' उठाने में गुरेज नहीं करते है . इस फिल्म और उपन्यास की बदौलत इटली का सिसली शहर बड़ा पर्यटन केंद्र बन गया है।
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