बीबीसी ने जब अमिताभ को अपने सर्वेक्षण में सदी का महा नायक चुना था तो किसी को भी अंदाजा नहीं था कि यह विशेषण उन्हें कहाँ ले जाने वाला है . बरसों पहले दिलीप कुमार को पाकिस्तान सरकार ने अपने वतन के सबसे महत्वपूर्ण सम्मान 'निशाँ - ऐ -पाकिस्तान' से नवाजा था . उसके बाद दिलीप कुमार कुछ ख़ास नहीं कर पाए थे . तब यही कयास लगाए गए थे कि'' महानायक '' का सर्टिफिकेट अपनी दिवार पर टांग कर अमिताभ अपनी आत्म कथा लिखेंगे , और ज्यादा से ज्यादा साल दो साल फिल्मे करके सेवा निवृत हो जायेंगे .और यह अनुमान लगाने के ठोस कारण थे . बाए हाथ का घूंसा , गुस्से से लाल होती आँखे , एंग्री यंग मेन की छवि सब कुछ बोथरा होने लगा था.
इसी दौर में मशहूर फ्रेंच निर्देशक तृफौत ने उन्हें विशेषण दिया ' वन मेन इंडस्ट्री ' का , और यह सही भी था उस समय अमिताभ एक नंबर से लेकर दस नंबर तक कब्जा जमाये हुए थे . भावना सोमाया अपनी पुस्तक ' अमिताभ बच्चन - द लेजेंड में लिखती है '' गोर से देखे आपको एक अभिनेता दिखेगा जिसके हाथों में अपनी नियति का नियंत्रण है'' . रोलर कोस्टर की तरह रोमांचक उनके करीअर की कहानी को बयान करते यह शब्द सही लगते है .
आकाशवाणी से खारिज हो चुकी आवाज को सबसे पहले नेशनल अवार्ड जीत चुके फिल्मकार मृणाल सेन ने पहचाना और सात हिन्दुस्तानी से भी पहले मौका दिया अपनी फिल्म'' भुवन शोम ''में . गूंजने वाली इस आवाज का उपयोग फिर हर महान फिल्मकार ने बरसो बाद सिर्फ इस लिए किया कि उनके पास अमिताभ के लिए उपयुक्त रोल नहीं था परन्तु वे उन्हें किसी न किसी तरह अपनी फिल्म का हिस्सा बनाना चाहते थे , उल्लेखनीय है , सत्यजित रे - शतरंज के खिलाड़ी , ऋषिकेश मुखर्जी - बावर्ची .
''टु बी आर नॉट टु बी '' में जया बच्चन लिखती है '' वे एक रहस्य मयी पहेली कि तरह है ' जितने लोकप्रिय वे यहाँ है उतने ही दुनिया के दुसरे कोने में भी है . फ्रांस के डयूविले शहर कि मानद नागरिकता जया की इस बात को रेखांकित करती है . इंग्लॅण्ड की रानी और अन्तरिक्ष यात्री युरी गागरिन ऐसे मात्र दो लोग है जिन्हें यह सम्मान अमिताभ के पूर्व मिला है .
एक समय मीडिया को पास न फटकने देने वाले अंतर्मुखी अमिताभ पिछले तीन सालों से मुखर हो उठे है . बिला नागा अपने मन कि बात ब्लॉग पर लिख कर उन्होंने साहित्य की नई विधा इजाद की है . पिछले हफ्ते पोलैंड सरकार ने डॉ . हरिवंश रॉय बच्चन के नाम पर हिंदी लायब्रेरी शुरू करते हुए अमिताभ को शहर की चावी सौपी और उनके हाथों की छाप संरक्षित की. एक भारतीय के लिए यह गर्व की बात है . यह सम्मान हमारे किसी राजनेता को भी नसीब नहीं हुआ है .
लगे हाथ - रितुपर्णो घोष की फिल्म '' द लास्ट लियर '' अमिताभ की पहली अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म है . उत्पल दत्त द्वारा लिखी कहानी पर बनी इस फिल्म में काम करने के लिए अमिताभ ने स्वयं आगे आकर पहल की थी , वजह सिर्फ इतनी थी की उत्पल दत्त उनकी पहली फिल्म सात हिन्दुस्तानी के सह कलाकार थे .
इसी दौर में मशहूर फ्रेंच निर्देशक तृफौत ने उन्हें विशेषण दिया ' वन मेन इंडस्ट्री ' का , और यह सही भी था उस समय अमिताभ एक नंबर से लेकर दस नंबर तक कब्जा जमाये हुए थे . भावना सोमाया अपनी पुस्तक ' अमिताभ बच्चन - द लेजेंड में लिखती है '' गोर से देखे आपको एक अभिनेता दिखेगा जिसके हाथों में अपनी नियति का नियंत्रण है'' . रोलर कोस्टर की तरह रोमांचक उनके करीअर की कहानी को बयान करते यह शब्द सही लगते है .
आकाशवाणी से खारिज हो चुकी आवाज को सबसे पहले नेशनल अवार्ड जीत चुके फिल्मकार मृणाल सेन ने पहचाना और सात हिन्दुस्तानी से भी पहले मौका दिया अपनी फिल्म'' भुवन शोम ''में . गूंजने वाली इस आवाज का उपयोग फिर हर महान फिल्मकार ने बरसो बाद सिर्फ इस लिए किया कि उनके पास अमिताभ के लिए उपयुक्त रोल नहीं था परन्तु वे उन्हें किसी न किसी तरह अपनी फिल्म का हिस्सा बनाना चाहते थे , उल्लेखनीय है , सत्यजित रे - शतरंज के खिलाड़ी , ऋषिकेश मुखर्जी - बावर्ची .
''टु बी आर नॉट टु बी '' में जया बच्चन लिखती है '' वे एक रहस्य मयी पहेली कि तरह है ' जितने लोकप्रिय वे यहाँ है उतने ही दुनिया के दुसरे कोने में भी है . फ्रांस के डयूविले शहर कि मानद नागरिकता जया की इस बात को रेखांकित करती है . इंग्लॅण्ड की रानी और अन्तरिक्ष यात्री युरी गागरिन ऐसे मात्र दो लोग है जिन्हें यह सम्मान अमिताभ के पूर्व मिला है .
एक समय मीडिया को पास न फटकने देने वाले अंतर्मुखी अमिताभ पिछले तीन सालों से मुखर हो उठे है . बिला नागा अपने मन कि बात ब्लॉग पर लिख कर उन्होंने साहित्य की नई विधा इजाद की है . पिछले हफ्ते पोलैंड सरकार ने डॉ . हरिवंश रॉय बच्चन के नाम पर हिंदी लायब्रेरी शुरू करते हुए अमिताभ को शहर की चावी सौपी और उनके हाथों की छाप संरक्षित की. एक भारतीय के लिए यह गर्व की बात है . यह सम्मान हमारे किसी राजनेता को भी नसीब नहीं हुआ है .
लगे हाथ - रितुपर्णो घोष की फिल्म '' द लास्ट लियर '' अमिताभ की पहली अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म है . उत्पल दत्त द्वारा लिखी कहानी पर बनी इस फिल्म में काम करने के लिए अमिताभ ने स्वयं आगे आकर पहल की थी , वजह सिर्फ इतनी थी की उत्पल दत्त उनकी पहली फिल्म सात हिन्दुस्तानी के सह कलाकार थे .
रोचक आलेख्।
ReplyDeleteबहुत शानदार अभिनेता हैं अमिताभ. आपने उनके बारे में अच्छा और जानकारी वर्धक लिखा है. बधाई
ReplyDeletebahut badhiya alekh..purani yadde tarotaja ho gai ...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है ...।
ReplyDeleteHeart Touching.. Keep writing.. :)
ReplyDeleteHe is a legend of his own kind!!
ReplyDeleteक्या विवेकानंद भगत सिंह आजाद और कलाम जैसे व्यक्तित्वों की कमी है जो एक तेल बेचने वाले को महानायक कह रहें है हम?????
ReplyDeleteरोचक जानकारी एवं आलेख. द लीजेंड!!
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