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भारत में प्रति वर्ष एक हजार से ज्यादा फिल्मे बनती है और पहली बोलती फिल्म आलम -आरा से लेकर 'ब्लेक एंड व्हाइट फिल्मो के पुरे दौर में बेहतरीन क्लासिक और यादगार फिल्मे बनी है.परन्तु उचित रख रखाव के आभाव में अधिकाँश फिल्मो के प्रिंट नष्ट होने का कगार पर है. फिल्मो के प्रिंट की अधिकतम उम्र 70 -80 बरस होती है, गर उन्हें दो डिग्री सेल्सियस और चोवीस डिग्री आन्द्रता में संरक्षित किया जाए तब .
दूसरी तरफ पुराने संगीत को संरक्षित करने में ज्यादा प्रयास नहीं करना पड़े है. यह काम कम खर्च में बगेर कोई आन्दोलन किये संपन्न हो रहा है. इसे सहेजने में राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन के अलावा निजी स्टूडियो ने भी विशेष रूचि दिखाई और समय समय पर ओल्ड -इस -गोल्ड नाम से संगीत जारी कर काफी धन कमाया है .
इस तथ्य से इनकार नहीं है कि पुरानी और क्लासिक फिल्मो के प्रिंट को डिजिटल करने का काम काफी खर्चीला है , परन्तु टेड टर्नर जेसे मीडिया सम्राट के लिए यह काम आसान है.उन्होंने अमेरिका में 1939 से लेकर ब्लेक एंड व्हाईट दौर कि अधिकाँश फिल्मो को सहेज कर अपने टेलीविजन पर प्रसारित किया है और कुछ फिल्मो को रंगीन करने की आलोचना भी झेली है.
हमारे देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों ने भी पिछले कुछ समय से फिल्मो को व्यापार के रूप में लेना शुरू किया है . अनिल अम्बानी ग्रुप , सन टीवी , आदि विशेष रूप से सक्रिय है , परन्तु इनका भी रुझान फिल्म निर्माण और फिल्मो के लिए वित्त उपलब्ध करने तक ही है .कुछ लोग अवश्य टेलीविजन चेनल शुरू कर चुके है परन्तु वे मनोरंजक चेनल और न्यूज चेनल पर ही अटके हुए है
भारत के फिल्म प्रेमी दुआ ही कर सकते है कि टेड टर्नर का ध्यान इस तरफ जाए ..या हमारे अनिल अम्बानी , सुभास चन्द्रा या दयानिधि मारन को कुछ नया करने का जूनून आये .
(टेड टर्नर की मशहूर अभिनेत्री पत्नी जेन फोंडा ने अस्सी के दशक में योग के माध्यम से अपना 'काया-कल्प ' किया था. अपना फिटनेस विडियो जारी करने वाली वे पहली स्टार थी. भारत में उनका अनुसरण कर निख़रने वाली सर्वप्रथम अभिनेत्री रेखा थी )
bahut sarthak aalekh prastut kiya hai aapne .badhai .
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