हालिया रिलीज़ फिल्म ' द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ' ने उन तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया जिसकी आशंका जताई जा रही थी। सिनेमैटिक उत्कृष्टता के लिहाज से भले ही फिल्म उस मुकाम पर नहीं पहुंची परन्तु शुरूआती उत्सुकता की वजह से इसने ने इतना मुनाफा अवश्य कमा लिया है कि निर्माता इसे सफल मान सकते है। लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान सिनेमाई इतिहास का हुआ है जो एक अच्छे कथानकीय दस्तावेज से वंचित रह गया। फिर भी इस फिल्म के लिए हमें इतना भी उदास होने की जरुरत नहीं है । हर विध्वंस में एक सकारात्मक बात अवश्य निकाली जा सकती है। वैसे ही ' द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ' के साथ भी एक उपलब्धि चस्पा हो गई है। इस फिल्म को अपनी कास्टिंग , कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग एवं मेकअप के लिए सराहना मिली है।
किसी भी फिल्म के ये कुछ ऐसे पहलु होते है जिनपर अमूमन सामान्य दर्शक का ध्यान नहीं जाता है। इन पहलुओं को साधने वाले लोग इतने भी लोकप्रिय नहीं होते कि उनकी फोटो देखकर आम दर्शक उनसे तादतम्य स्थापित कर सके। आमतौर पर सफल फिल्म की प्रशंसा में ही इन लोगों की प्रशंसा छुपी होती है। द एक्सीडेंटल के मेकअप आर्टिस्ट श्रीकांत देसाई सतरह वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे है। उनके उल्लेखनीय कामों में ' गैंग्स ऑफ़ वासेपुर (2012) कोर्ट (2014) मसान (2015) बॉम्बे वेलवेट (2015) राजी (2018) विशेष सराहनीय है। देसाई स्वयं को सटीकता का तरफ़दार बताते है। उनका मानना है कि किसी ऐतिहासिक पात्र को स्क्रीन पर उतारने में सटीकता ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि दर्शक के सामने अभिनेता , अभिनेता नहीं रह जाता पात्र जीवंत हो जाता है। देसाई बताते है कि डॉ मनमोहन सिंह के अवतार में आने के लिए अनुपम खेर को रोजाना एक घंटे मेकअप करना पड़ता था। इसी तरह जर्मन अभिनेत्री सूजन बेर्नेट को सोनिया गांधी में बदलना कम चुनौती भरा काम नहीं था। छतीस वर्षीया इस अभिनेत्री को इकहत्तर वर्ष की महिला के किरदार के लिए चुना गया था। मेकअप ने उम्र के इस अन्तर को पाटने में चमत्कार कर दिखाया।
हर वर्ष होने वाले दर्जन भर सिनेमाई पुरुस्कारों में मेकअप आर्टिस्टों को पुरुस्कृत करने की पहल फिलहाल भारत में आरंभ नहीं हुई है। ऑस्कर ने ' बेस्ट मेकअप एंड हेयर स्टाइल ' केटेगरी में पुरूस्कार देने की शुरुआत 1981 में ही कर दी थी। इससे पहले उनकी उपलब्धियों का सिर्फ जिक्र ही हो पाता था। साधारण अभिनेता को कहानी के चरित्र में बदलदेने के हुनर का महत्व हमारे फिल्मकार समझते तो है परन्तु उनके प्रोत्साहन के लिए कोई ठोस जतन नहीं किया जाता है। हाल ही में हॉलीवुड के वरिष्ठ मेक उप आर्टिस्ट डैन स्ट्रिपेक का निधन हुआ। उनकी उपलब्धियों में तीन बार ऑस्कर के लिए नामांकित होना दर्ज हो चूका है। इसके अलावा टॉम हैंक्स की चर्चित सोलह फिल्मे और टॉम क्रूज की ' मिशन इम्पॉसिबल ' सीरीज में उनका काम काफी सराहा गया था।
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