Sunday, February 5, 2017

तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा !


देश के 57 हजार करोड़ के विज्ञापन उधोग में 47 प्रतिशत की हिस्सेदारी अकेले टेलीविज़न पर दिखाए  वाले विज्ञापनों की है। इस क्षेत्र के जानकारों के अनुसार यह इंडस्ट्री 16 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है । इस में कोई दो राय नहीं है कि अखबार और टेलीविज़न के  लिए विज्ञापन ही दाल रोटी की व्यवस्था करता है। अभी हमारे न्यूज़ चेनल बीबीसी या सी एन एन की तरह विश्वसनीय नहीं हुए है जिन्हें घर बैठे ग्राहक मिल जाए।
इस समय देश में 832  चेनल प्रसारण कर रहे है जिसमे आधे  न्यूज़ चेनल है। भारतीय उपमहाद्वीप में इन चेनलों ने  विज्ञापनों की बाढ़ ला दी है। इस अति ने निसंदेह मोटी कमाई के अवसर दिए है परंतु  साथ ही  विज्ञापनों में किये जा रहे दावों की पड़ताल करने की जरुरत का भी सरदर्द बड़ा दिया है।
विज्ञापन नियामक संस्था ' एडवरटाइजिंग स्टैण्डर्ड कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया ' ने उपभोक्ता संघ की और से मिली 198  शिकायतों के बाद नामी गिरामी कंपनियों के 98 विज्ञापन प्रतिबंधित  किये है। इन सभी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों की कहानी सुनाने के लिए यह कॉलम बहुत छोटा है। फिर भी कुछ की बात करना जरुरी है।
ख्यात नाम हेल्थ केयर कंपनिया किस असंवेदना के स्तर पर जाकर बीमार लोगों का आर्थिक शोषण अपने विज्ञापनों में  करती है इस  बात की पुष्टि ASCI के आंकड़े कर देते है। प्रतिबंधित विज्ञापनों में सबसे ज्यादा 31 विज्ञापन स्वास्थ सेवाओ से जुड़े थे। बगैर ऑपरेशन के हार्ट सर्जरी , अस्थमा का दो माह में निदान, सर्जरी से शुगर कंट्रोल , हाइट बढ़ाना , वजन घटाना जैसे दावों को पड़ताल के बाद  भ्रामक माना गया।
बजाज आमंड तेल में बादाम न होना , बीएसएनएल की घर पहुँच सेवा, स्टेट बैंक के गोल्ड लोन में गलत आंकड़े पेश करना , लोरियाल और पैंटीन से बालों में  चमक आना , घडी डिटर्जेंट का सफेदी का दावा , ऐसे ढेर सारे तथ्य है जो इन उपभोक्ता कंपनियों के विज्ञापनों में तो थे परन्तु सिद्ध नहीं हो पाये।
देश में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट लागू हुए 30 वर्ष हो चुके है परन्तु घोघे की चाल से चलती न्याय प्रणाली ने भ्रामक विज्ञापन दाताओ में डर पैदा नहीं किया है। सरकार ने टेलेविज़न चेनलों पर ' अगर आपको इस विज्ञापन से शिकायत है तो अमुक नंबर पर कॉल करे ' का  स्क्रॉल चला कर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली है।  अब गेंद दर्शक के पाले में है। उसे चेनल देखते हुए जाग्रत रहना है और ठोंक बजाकर प्रोडक्ट खरीदना है। सनद रहे , विज्ञापनों की चुनचुनाति मोहक छवियों के छलावे  से आपको आपके अलावा कोई और नहीं बचा सकता !


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