Sunday, May 1, 2016

The Land of Kamsutra : खजुराहो के देश में सेंसर !!

एक खुला पत्र सेंसर बोर्ड के चेयर मैन के नाम 

आदरणीय पहलाज निहलानी साहब

सादर प्रणाम ,
       
     एक गुमनाम  फिल्म निर्माता से सेंसर बोर्ड के चेयरमैन बनने और दुनिया भर में अपने नाम का डंका बजाने के लिए बधाई स्वीकार करे। जब से आप इस कुर्सी पर बैठे है तब से दुनिया के नामचिन निर्माता निर्देशकों ने भारत की तरफ पैर करके सोना भी बंद कर दिया है। खुश तो बहुत होंगे  आप कि जो त्राहि आपने मचाई है और  ' संस्कार व संस्कृति ' के लिए फिल्म के दृश्यों पर बेरहमी से कैंची चलाई वैसा साहस किसी और ने पहले नहीं दिखाया। परन्तु सर , देश को इसकी बड़ी किमत चुकाना पड  रही है।  कैसे ?  मैं विस्तार से बताता हूँ  .
                     हाल  ही में मैं huffingtonpost.com पर एक लेख पढ़ रहा था। शीर्षक था '' बेतुके कारणों की वजह से सेंसर बोर्ड ने हॉलीवुड की 6 फिल्मों को सर्टिफिकेट देने से इंकार किया '' ...  बुरा मत मानियेगा सर।  ये 6 फिल्में आज भी torrent  की बदौलत धड्ड्ले से भारत में देखीं  और share की जारही है।  आपने तो उन्हें सिनेमा घर का मुंह न देखने दिया परन्तु आप उन्हें रोक नहीं पाये।  ये सभी फिल्में ख्यातनाम actors और directors की है और एक को तो oscar भी मिल चूका है। यही हाल टेलीविज़न shows का हो रहा है। Two and half man , Breaking Bad , Games of throne जैसे लोकप्रिय धारावाहिक आपके होते शायद भारत में प्रदर्शित न हो पाये परन्तु देखे जा चुके है , बगैर किसी mute के , बगैर किसी beep beep के साउंड के। उस revenue की कल्पना कीजिये जो indian film industry कमा न सकी. आपको तो सिगरेट , शराब,  और हिंसक दृश्यों से देश को बचाना था आपने बचा लिया।   खैर।
                          पिछले दिनों केंद्र सरकार ने चुनिंदा पोर्न साइट्स पर बैन लगाकर देख लिया है। मीडिया में इतना मजाक बना आपने भी सुना होगा। यू टर्न लेना पड़ा।
            सर , गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की ' गीतांजलि ' में कुछ लाइन बताती है कि पिछले पांच हजार वर्षों में हमारे इस भू भाग पर अनगिनत सभ्यताए आई परन्तु हमारी संस्कृति को नष्ट न कर सकी वरन वे अपना अस्तित्व खो कर भारतीयता में इस कदर घुलमिल गई जैसे यहीं की हो।
                 जिद छोडिए सर ! लोग जो देखना चाहते है उन्हें देखने दीजिये।  आप अपनी और से ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर सकते है जैसा कि अमेरिकन और ब्रिटिश फिल्मों के लिए होता है। ध्यान रखिये सर  श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी पावरफुल प्रधानमंत्री भी इमरजेंसी को ज्यादा नहीं थोप पाई थी। उनका राजनीतिक हश्र भी आपकी स्मृति में होगा ही।
 हमारे देश में एक अलिखित नियम है कि आप कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को राय नहीं दे सकते , उसका आत्म सम्मान आहात हो जाता है।  में आपको राय नहीं दे सकता सिर्फ आगाह कर सकता हु। कला के किसी भी रूप को प्रतिबंधित करना संभव नहीं है। प्रतिबंध अपने साथ विकृतियां लाते है ( गूगल के मुताबिक़ इस्लामिक राष्ट्र का दम भरने वाला पकिस्तान पोर्न सर्च में दुनिया में पहले स्थान पर आता है )
याद रखिये सर  - कामसूत्र भारत  की  देन है  और खजुराहो के शिल्प हमारे ही पूर्वजों ने तराशे थे। यह बात देश के कर्णधार गर्व से बताते है !!

                  

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