15 अप्रैल को TITANIC के डूबने की सॉवी वर्षगाँठ मनाई जा रही है . ठीक इसी दिन 1912 में यह जहाज तकरीबन पंद्रह सों लोगो को लेकर उतरी अटलांटिक सागर में समां गया था . इसके यात्रियों में शामिल थे उस समय दुनिया के सबसे रईस और रसूखदार लोग , अंग्रेज प्रवासी जो अमरीका में अपने सपने तलाशने जा रहे थे . लेकिन नहीं था तो कोई प्रेमी जोड़ा जैसा की फिल्म में बताया गया था . निर्माता जेम्स केमरून ने दर्जनों किताबे पढने के बाद फिल्म TITANIC के निर्माण को हरी झंडी दी थी . हादसे में काल्पनिक प्रेम कहानी को पीरो कर उन्होंने एक महान काव्य रच डाला . हिंदी फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी अमीरी -गरीबी का तड़का लगाया गया था . फिल्म की नायिका फर्स्ट क्लास की पेसेंजर थी और नायक third class के रेवड़ का हिस्सा ..
14 अप्रैल 1912 की रात ग्यारह बजकर चालीस मिनिट पर यह जहाज एक हिम खंड से टकराया था और महज ढाई घंटे में समुद्र की गहराइयों में विलीन हो गया था . कुछ बरसों पहले DISCOVERY CHANEL ने एक DOCUMENTARY से यह साबित करने की कोशिश की थी कि इस्पात कि चद्दरों को जोड़ने के लिए जिन REBETO का इस्तमाल किया था वे निहायत ही दोयम दर्जे की थी . बहरहाल आज सब कुछ इतिहास का हिस्सा है . इस दुर्घटना ने जहां सारी दुनिया को मातम में डूबा दिया था वही सरकारों को समुद्री सुरक्षा के कड़े नियम अपनाने को मजबूर कर दिया था . घटना के ठीक दो वर्ष के अन्दर '' international convention for the safety of life at sea (SOLAS ) लागू किया गया जो आज भी प्रभावशील है .
इस दुर्घटना में बचे मात्र 710 लोग जब New york पहुंचे थे तब उनकी दुनिया बदल चुकी थी . कुछ लोग अपना सब कुछ खो कर सड़क पर आ चुके थे और कुछ के लिए जीवन नरक हो गया था , क्योंकि उनके परिवार में कोई भी नहीं बचा था . आज इस हादसे को भोगने वाला कोई भी नही बचा है . बचे 710 लोग में से अधिकाँश लोग कुछ समय के अन्दर ही चल बसे थे . वजह थी सर्दीली हवाओ ओर जख्मों का बदतर हो जाना . इस जहाज की एक मात्र जीवित यात्री इंग्लॅण्ड की मिल्विना डीन(97 ) का 2009 में निधन हुआ . हादसे के वक्त वे TITENIC की सबसे छोटी यात्री थी (उम्र -9दिन ) .
यह युग किताबो का था . लिहाजा पुब्लिशिंग इंडस्ट्री ने इस मोके का भरपूर फायदा उठाया और बाजार को TITENIC किताबो से पाट दिया. अधिकाँश किताबे इस ढंग से लिखी गई थी मानो लेखक दुर्भाग्यशाली जहाज का ही यात्री था .
बहरहाल ! समुद्र से निकाले जहाज के हिस्से और यात्रियों के सामान आज संग्राहलयों का हिस्सा है . एक कडवी याद जिसे मानव इतिहास में कोई याद नहीं करना चाहेगा .
बहरहाल ! समुद्र से निकाले जहाज के हिस्से और यात्रियों के सामान आज संग्राहलयों का हिस्सा है . एक कडवी याद जिसे मानव इतिहास में कोई याद नहीं करना चाहेगा .