'' एक धूप का टुकड़ा हमे थोड़ी देर के लिये उधार दिया गया था " अरुंधति रॉय के बुकर विजेता उपन्यास की यह लाइन मधुबाला के सम्पूर्ण जीवन को परिभाषित करती है । जिस उम्र में लोग अपना कैरियर संवारने का सपना देखते हैं उस उम्र में सौंदर्य की इस देवी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था । छत्तीस बरस की उम्र इतनी भी ज्यादा नहीं होती कि आप सब को रुलाकर कब्र में जा लेटे । सत्तर फिल्मों का उनका सफर बीस सालों में थम गया था । मेडिकल साइंस ने साठ के दशक तक इतनी तरक्की नही की थी । आज जो सामान्य ऑपरेशन है वह उस समय लाइलाज था । मधुबाला के दिल मे छेद था । बदकिस्मती से एक छेद उनके नसीब में भी था । हिंदुस्तानी सिनेमा के अब तक के इतिहास की सबसे सुंदर इस अभिनेत्री को ' वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा ' और ' भारत की मर्लिन मुनरो ' कहा जाता था । परंतु सौंदर्य मलिका प्रेम के मामले में कंगाल थी । कहने को वे आधुनिक शहर मुंबई में रहती थी परंतु पारिवारिक माहौल सोहलवीं सदी का था ।सितारा हैसियत होने के बाद भी उन्हें पार्टियों में जाने की इजाजत नहीं थी । उनके पिता उनकी और दिलीप कुमार की शादी के लिए कई मिन्नतों के बाद भी नही पिघले जबकि दोनों एक दूसरे के प्रेम में आकंठ डूबे हुए थे । पिता को नीचा दिखाने के लिए मधुबाला ने किशोर कुमार से हड़बड़ी में विवाह कर लिया । परंतु किशोर कभी अच्छे पति नही बन पाए । 1951 में फ्रैंक काप्रा उन्हें हॉलीवुड ले जाना चाहते थे परंतु इस बार पिता के साथ अंग्रेजी भी उनके आड़े आयी । फिर भी ' लाइफ मैगज़ीन ' के फोटोग्राफर जेम्स बुर्के ने उनकी कुछ तस्वीरे लाइफ में छपवा दी । भारत के बाहर किसी सिने तारिका के फोटो छपना और उनका सनसनी मचा देना पहली घटना थी । किशोर कुमार के साथ अच्छे पलों में आई उनकी फिल्म ' चलती का नाम गाड़ी ' का गीत ' एक लड़की भीगी भागी सी , सोई रातो में जागी सी ' आज भी सदाबहार रोमैंटिक गीतों में शुमार है । इसी तरह 1949 में आयी ' महल ' में उनके लिये लता मंगेशकर का गाया ' आएगा आने वाला आएगा ' गीत लता मंगेशकर की सफलता के लिये टर्निंग पॉइंट बना । ऐन वेलेंटाइन डे पर जन्म लेने वाली मधुबाला की बदकिस्मती ने मौत के बाद भी उनका पीछा नही छोड़ा । मृत्यु के बाद उन्हें बांद्रा के कब्रिस्तान में दफनाया गया था परंतु सन दो हजार में कब्रिस्तान में जगह की कमी के चलते कुछ कब्रो को हटाना जरूरी हो गया था । लिहाजा अन्य कब्रो के साथ मधुबाला की कब्र भी हटा दी गई । आज कोई भी दावे के साथ नही कह सकता है कि मधुबाला कहाँ दफन है।
चर्चित लोगों के पुतले बनाकर प्रदर्शनी लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय म्यूज़ियम ' मैडम तुसाद ' ने मधुबाला को हाल ही में अपने संग्रह में शामिल कर आदरांजलि दी है । लाखों दिलों की धड़कन मधुबाला को अब सिने प्रेमी 'मुगले आजम ' की अनारकली के रूप में निहार सकते है ।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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