Sunday, January 24, 2016

Future is calling :भविष्य की आहट

इन दिनों चीन की अर्थव्यवस्था उम्मीद से धीमी चल रही है परिणाम स्वरुप दुनिया भर के बाजार मंदी  की आशंका से काँप रहे है। अनुमान गड़बड़ाते है तो सरकार की बोलती भी बंद हो जाती है। भारतीय शेयर बाजार न तो वित्त मंत्री के दिलासे से संभल रहे है न ही रिज़र्व बैंक के गवर्नर के आश्वासन से। जनवरी का महीना है और शीत ऋतू अपने पुरे शबाब पर है। संयोग की बात है कि समंदर पार अमेरिका से भी मौसम के बेईमान होने की खबर आरही है।  इस समय वाशिंगटन और न्यूयॉर्क सदी के भीषणतम बर्फानी तूफ़ान से गुजर रहे है। दुनिया की सबसे ताकतवर राजधानी इस समय 40 इंच बर्फ की वजह से थम गई है। सी एन एन  ( cnn ) पर प्रमुख ख़बरों में सफ़ेद सुनसान सड़कों के अलावा कुछ भी नहीं है। दुनिया में कोई ताकतवर है तो वह सिर्फ प्रकृति है।
                         
  प्रकृति के तांडव को देखकर 2004 की साइंस फिक्शन फिल्म '' the day after tomorrow '' स्मरण हो जाती है।  फिल्म का कथानक पूरी तरह काल्पनिक था।  परन्तु जिस तरह मौसम अपनी दिशा बदल रहा है , उसे देखकर फिल्म एक तरह से भविष्य का पूर्वा भास् कराती प्रतीत होती है। इस फिल्म में न केवल अमेरिका , वरन पूरी दुनिया को बदलते  मौसम  चपेट की  में आते बताया गया था। इस फिल्म के विज़ुअल इफ़ेक्ट इतने प्रभावशाली थे कि हाल में बैठा दर्शक भी माइनस 150 के तूफ़ान को महसूस कर कांप गया था।
                               
 गत वर्ष (2015 ) प्रमुख अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने जर्मनी के मैक्स पैट्रिक इंस्टिट्यूट के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि 20 डिग्री माइनस तक तापमान का गिरना कोई बड़ी बात नहीं होगी।  ग्लोबल वार्मिंग जिस तरह से बड़ रही है उसे देखते हुए  '' the day after tomorrow '' हमारे बहुत नजदीक है।
                              

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